मोरक्को में भूकंप से 2800 की मौत, ग्रहों की चाल देख भविष्यवाणी करने वाले वैज्ञानिक ने क्या कहा?
मोरक्को में आए भूकंप से अब तक 2800 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. इस भूकंप से जहां वैज्ञानिक हैरान हैं, तो ग्रहों के हिसाब से जलजले की भविष्यवाणी करने वाले फ्रैंक हूगरबीट्स ने भी अपनी राय दी है.
मोरक्को के मारकेश में आए भूकंप ने अब तक 2800 लोगों की जान ले ली है. मोरक्को के लिए पूरी दुनिया भर में दुआएं की जा रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हर संभव मदद का आश्वासन किया है. दूसरी ओर वैज्ञानिक इस बात से हैरान हैं कि उनके अब तक की रिसर्च में इस इलाके में भूकंप आने के संकेत इस तरह नहीं दिखते जैसा कि एशिया में हिमालय के आसपास इलाकों में भूकंप की आशंका हमेशा बनी हुई है.
एटलस पहाड़ की उत्पत्ति और इस इलाके के भूगर्भीय प्रक्रियाओं पर रिसर्च कर रहे जीसस ग्लैनिडो ने एक इंटरव्यू में इस भूकंप के बारे में विस्तार से बातचीत की है. उन्होंने बताया कि एटलस के पहाड़ उत्तर पश्चिम में मोरक्को, अल्जीरिया और ट्यूनिशिया तक फैले हुए हैं. दक्षिण में यह यूरेशिया और अफ्रीका की टेक्नोनिक प्लेट की सीमा को भी छूते हैं. बता दें कि टेक्नोटिक प्लेटों के खिसकने से पैदा हुई ऊर्जा ही भूकंप की वजह बनती है.
उन्होंने बताया कि इस इलाके में सामान्य तौर पर भूकंप नहीं आते हैं, जैसा कि टेक्टोनिक प्लेट के किनारों पर बसे क्षेत्रों में आते हैं. हालांकि, 1960 में मारकेश के पास अग्दिर में एक बार भूकंप आया था जिसमें कई लोगों की जान गई थी.
जीसस ग्लैनिडो ने बताया कि वैज्ञानिकों की एक टीम इस इलाके में एटलस के पहाड़ों की उत्पत्ति, स्थिति और उसकी सीमाओं पर अध्ययन कर रहे हैं. जीपीएस तकनीक के जरिए वो टेक्टोनिक प्लेटों के खिसकने की पर नजर रखते हैं. उन्होंने बताया कि अब तक के रिसर्च में पता चला है कि एटलस का पहाड़ पैंजिंया महाद्वीप के टूटने से बना है. ये घटना आज से करीब 20 मिलियन साल पहले हुई थी. भारतीय महाद्वीप भी इस घटना के बाद बना था जो पैंजिया का दक्षिणी भाग था.
वैज्ञानिक ने बताया अब एटलस के पहाड़ लगातार बढ़ रहे हैं. इसका मतलब ये है कि जमीन के भीतर कहीं न कहीं कोई गतिविधि हो रही है. पृथ्वी की ऊपरी सतह में दरारें भी आई हैं.इससे साफ संकेत हैं कि धरती के बीच जरूर कुछ हुआ है. हालांकि, उन्होंने हैरानी जताई है कि ये गतिविधियां लगातार पृथ्वी के अंदर हो रही हैं, इसकी तुलना में भूकंप कम आए हैं.
रिसर्च में ये भी बता है कि एटलस के पहाड़ हर साल एक मिलीमीटर के हिसाब से खिसक रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि यूरेशियन और अफ्रीकन प्लेटें लगातार एक दूसरे के नजदीक आ रही हैं. यही वजह है कि पहाड़ और ऊंचे होते जा रहे हैं. ये दक्षिणी इलाका है जहां पर ये दोनों प्लेटें मिलती हैं.
इस विनाशकारी भूकंप के बारे में बात करते हुए जीसस ग्लैनिडो ने बताया कि ये एटलस पहाड़ के पश्चिमी इलाके में आया है. इसका केंद्र मोरक्को का मारेकस शहर का दक्षिणी भाग था. ये जमीन में 8 से 26 किलोमीटर नीचे था. विज्ञान की भाषा में कहें तो ये 'रिवर्स फॉल्ट' की वजह से आया है. इसका मतलब ये है कि टेक्टोनिक प्लेट टकराने से पृथ्वी की ऊपरी सतह कमजोर पड़ गई और इससे निकली एनर्जी ने पहाड़ को अचानक हिला दिया.
इस इलाके में इतना तेज भूकंप इसलिए क्योंकि टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने से जमीन के अंदर एनर्जी इकट्ठा हो रही थी. इससे पहले यहां छोटा भी भूकंप भी नहीं आया जिससे अंदर इकट्ठा हो रही है ऊर्जा बाहर निकल सके.
जीसस ग्लैनिडो ने बताया कि भूकंप की न तो भविष्यवाणी की जा सकती है और न ही इसे नकारा जा सकता है. इंसान के वश में सिर्फ इतना है कि वो सिर्फ इसके प्रभाव को कम कर सकता है. वैज्ञानिक सिर्फ भूकंप संभावित इलाकों का ही पता लगा सकते हैं.
ग्रहों की चाल से भूकंप दावा करने वाले फैंक हूगरबीट्स ने क्या कहा
अब बात करतें है उस भविष्यवक्ता की जिनका दावा है कि वो ग्रहों की चाल से पता लगा सकते हैं कि भूकंप आने वाला है. इस साल फरवरी के महीने में तुर्किए में भूकंप आया था जिसमें 30 हजार लोग मारे गए थे. इस तबाही को लेकर नीदरलैंड के फ्रैंक हूगरबीट्स ने पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी. हूगरबीट्स सोलर सिस्टम ज्योमेट्री सर्वे यानी SSGEOS के लिए काम करते हैं और दावा करते हैं कि वो भूकंप आने से पहले इसका पता लगा सकते हैं.
हूगरबीट्स ने वैज्ञानिकों की उस बात को कई बार गलत साबित किया जिसमें कहा जाता है कि भूकंप का पहले से पता नहीं लगाया जा सकता है. हूगरबीट्स ने तुर्किए के साथ जापान में भी भूकंप आने की भविष्यवाणी की थी जो सच साबित हुई.
फ्रैंक का दावा है कि ग्रहों की चाल और उनकी स्थिति का पृथ्वी के अंदर गतिविधियों की प्रभावित करती हैं. वहीं वैज्ञानिक उनके दावों को सिरे नकार देते हैं. सोशल मीडिया पर मोरक्को में आए भूकंप को भी उनकी भविष्यवाणी से जोड़ा जा रहा है, लेकिन फ्रैंक हूगरबीट्स ने साफ किया है उन्होंने सिर्फ इतना कहा है कि इस भूकंप के बाद कुछ झटके भी आ सकते हैं.
उनका मानना है कि ग्रहों और अन्य खगोलीय पिंडों का अलाइमेंट पृथ्वी पर भूकंपीय गतिविधि को प्रभावित कर सकता है और इस वजह से वो अपने SSGI तरीके से भूकंप की भविष्यवाणी करने का दावा करते हैं. हालांकि, कई बार उनके दावों की आलोचना भी की गई है. कई एक्सपर्ट मानते हैं कि उनके सिद्धांतों या भविष्यवाणियों का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.
ये भूकंप बीते शुक्रवार को आया था.शनिवार को उनके संस्थान सोशल मीडिया हैंडल से ग्रहों की स्थिति पर एक ग्राफ शेयर किया गया है. जिसमें बताया गया है कि 4 और 6 सितंबर के बीच बुध और शुक्र की स्थितियों में परिवर्तन हुआ है जो इस विनाशकारी भूकंप की वजह बना है.
'मां-बाप और बेटे में से किसी एक को चुनना था'
मोरक्को के मारकेश शहर के पास आए भूकंप के बाद तबाही का मंजर है. कई परिवार हमेशा के लिए दफन हो गए हैं. लेकिन तैयब इट इगनाबेज के साथ जो बीती है उससे जानकर हर किसी की रूह कांप जाती है. उन्होंने बताया कि जब भूकंप आया तो अचानक से घर गिरने लगा. कुछ ही सेकेंडों में उनका घर मलबे में तब्दील हो चुका था. जब धरती डोल रही थी तो वो और उनकी पत्नी घर से बाहर भागे. लेकिन इस आपाधापी में उनके बुजुर्ग मां-बाप और बेटा अंदर ही फंस गए.
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने बताया कि जब धरती हिली तो उनके पिता सो रहे थे. जब भूकंप आया तो मैंने अपनी मां से भागने के लिए कहा लेकिन वो पिता का इंतजार करने लगीं. बाहर मैं, पत्नी और बेटी ही आई पाई थी. इतनी देर में पूरा मकान गिर गया. मलबे में उनके पिता-मां और बेटा दब गया.
तैयब ने बताया, 'मैंने देखा कि मलबे के अंदर से बेटे का हाथ दिख रहा था. मैंने हाथों से मलबे को खोदना शुरू कर दिया. मुझे पल भर में ही फैसला करना था. मैंने किसी तरह बेटे निकाला. फिर, मैं अपने मां और पिता को बचाने के लिए मुड़ा. वो मलबे में बहुत नीचे दबे थे. तब तक बहुत देर हो चुकी थी. मुझे अपने मां-पिता और बेटे में से किसी एक को चुनना पड़ा. मैं अपने मां और पिता को बचा नहीं सका. एक दीवाल उन दोनों के ऊपर गिर गई थी. मैंने दोनों को मरते हुए देखा.