नई दिल्लीः अमेरिका के अफगानिस्तान से पूरी तरह वापस लौटने के बाद अब कुछ हीं दिनों में अफगानिस्तान में नई तालिबानी सरकार बन सकती है. ABP News को अफगानिस्तान में मौजूद विश्वसनीय सूत्रों से मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक तालिबान अफगानिस्तान में ईरान के तर्ज़ पर सरकार गठन कर सकता है. ABP News को मिली जानकारी के मुताबिक तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला अखुन्दज़ादा हो सकते हैं.
तालिबानी सरकार के नए सुप्रीम लीडर और उनके आधीन होगी. नई सुप्रीम काउंसिल जिसके 11 से 70 सदस्य हो सकते हैं. साथ हीं अफगानिस्तान का प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर या मुल्ला याकूब को बनाया जा सकता है. आपको बता दें कि मुल्ला याकूब मुल्ला उमर का बेटा है और काफी हार्डलाइनर माना जाता है.
सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम लीडर अखुन्दज़ादा कांधार में हीं रहेंग और प्रधानमंत्री और सरकार के बाकी मंत्री काबुल से सरकार का संचालन करेंगे. ABP News को सूत्रों ने ये भी बताया कि तालिबान अफगानिस्तान के मौजूदा संविधान को रद्द कर 1964-65 के पुराने संविधान को हीं फिर से लागू कर सकता है क्योंकि तालिबान का मानना है कि नया संविधान विदेशी मुल्कों के आधीन बनाया गया था.
सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान में नई सरकार का गठन और कुछ बदलाव के साथ पुराने संविधान की शुरुआत जल्दी हीं हो सकती है. इस बीच सूत्रों ने ये भी बताया कि तालिबान की सरकार बनाने में पाकिस्तान खासा दखल दे रहा है और पाकिस्तान कोशिश कर रहा है कि पाकिस्तानी एजेंसियों के करीबी ज़्यादा तालिबानी नेताओं को सरकार में अहम मंत्रालय सौंपे जाएं.
अहम बात ये कि सरकार का गठन अगले 5 से 7 दिनों में हो सकता है और इसे लेकर पिछले 4 दिनों से तालिबानी नेता कांधार में आपसी चर्चा कर रहे हैं. हालांकि सूत्रों ने ये भी बताया कि तालिबान का हार्डलाइनर गुट सत्ता में किसी और को शामिल नहीं करना चाहता. मगर, दोहा आफिस के तालिबानी नेता दूसरे पक्षों को भी शामिल करना चाहते हैं.
सूत्रों के मुताबिक तालिबानी सरकार में गैर तालिबानी पक्षों को सुप्रीम काउंसिल और मंत्रालयों दोनों में हीं जगह दी जा सकती है. हालांकि देखना ये दिलचस्प होगा कि नार्दन एलायंस और तालिबान के बीच बातचीत में कोई समझौता हो पाता है या नहीं क्योंकि नार्दन एलायंस सरकार में बराबर की हिस्सेदारी चाहता है और तालिबान इसके लिए फिलहाल राज़ी है. यही वजह है कि पहले दो चरणों की बातचीत तो सकारात्मक रही मगर सूत्रों के मुताबिक आखरी की दो वार्ता उतनी सकारात्मक नहीं रही.