Vile Parle Bomb Blast: चेनापराम्बिल अब्दुलखदर मुहम्मद बशीर उर्फ ​​सी.ए.एम. बशीर, यह वह नाम है जिसने 2002-03 में मुंबई को दहला कर रख दिया था. खूंखार आतंकी बशीर ने मुंबई में हुए विस्फोटों की साजिश रची थी, जिसे हाल हे में कनाडा में गिरफ्तार कर लिया गया है. बशीर को लेकर दावा किया जाता है कि साल 1993 में यह उस समय भूमिगत हो गया, जब यह मुंबई में एयर इंडिया के लिए रखरखाव इंजीनियर के रूप में काम कर रहा था. 


गौरतलब है कि बशीर को कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों को गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि महाराष्ट्र पुलिस की अपराध शाखा ने उसके प्रत्यर्पण की मांग की है.  मुंबई पुलिस ने चल रही प्रत्यर्पण प्रक्रिया के तहत डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए एर्नाकुलम में बशीर की बहन सुहारा बीवी से खून के नमूने एकत्र करने के लिए एक विशेष कोर्ट से अनुमति मांगी है. जिसपर कोर्ट ने सुहारा बीवी को सहयोग करने का निर्देश दिया है. मालूम हो कि भारत में प्रत्यर्पण के लिए डीएनए परीक्षण पहचान स्पष्ट रूप से अनिवार्य है. 


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, रॉ के अधिकारियों ने पहले ही उसकी पहचान सत्यापित कर ली है और पुष्टि की है कि हिरासत में लिया गया व्यक्ति वास्तव में सी.ए.एम.  बशीर है. हालांकि प्रत्यर्पण का अनुरोध करने से पहले औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी. 


भारत से युवाओं को कर रहा था प्रेरित 
 
भारतीय एजेंसियों के अनुसार, गिरफ्तारी से पहले बशीर नकली पासपोर्ट के जरिये पाकिस्तान और कनाडा घूम रहा था. सरकार ने शुरुआती दौर में उसके लिए इंटरपोल से अंतरराष्ट्रीय रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी करवाया था. ऐसा माना जाता है कि वह पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) और उसके K2 (कश्मीर से खालिस्तान) के साथ मिलकर काम कर रहा था, इतना ही नहीं, वह लश्कर-ए-तैयबा सहित आतंकवादी संगठनों में प्रशिक्षण के लिए भारत से युवाओं की भर्ती कर रहा था.


बशीर ने इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया 


बशीर केरल के कापरासेरी गांव का मूल निवासी है. उसका जन्म साल 1961 में हुआ था. उसने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है और अस्सी के दशक की शुरुआत से सिमी के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा था. इसके बाद वह केरल में सिमी का आतंकी बन गया. साथ ही बशीर ने आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कई युवाओं को प्रेरित किया और युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.


ऐसा बना आतंकी 


बशीर 1980 के दशक के अंत में मुंबई में एयर इंडिया में रखरखाव इंजीनियर के रूप में काम करता था. वह 1980 के दशक में इस्लामिक संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) में शामिल हो गया. सिमी के लिए पूर्णकालिक काम करने के लिए उसने 1991 में अपनी नौकरी छोड़ दी. वह कथित तौर पर 1993 में बांद्रा रिक्लेमेशन मैदान में मुस्लिम एकजुटता रैली के मुख्य आयोजकों में से एक था, जिसमें 10,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे. इस रैली में कुछ पश्चिम एशिया के इस्लामी देशों से भी लोग आए थे. 


फर्जी पासपोर्ट पर गया था पाकिस्तान 


खुफिया एजेंसियों को 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट में भी बशीर की भूमिका पर संदेह है, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिल सका है. बशीर को 90 के दशक के मध्य में केरल में जिहादी नेटवर्क खड़ा करने का श्रेय दिया जाता है. वह कथित तौर पर 1990 के दशक के अंत में हथियारों के प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान की यात्रा करने वाले पहले बैच का हिस्सा था. 1993 के बाद बशीर ने कभी भी अपने परिवार से संपर्क करने का प्रयास नहीं किया. खुफिया एजेंसियों का मानना ​​है कि वह फर्जी पासपोर्ट पर पहले पाकिस्तान गया और बाद में सऊदी अरब को अपना ठिकाना बना लिया. 


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