Pakistan US Relation : अमेरिका ने पाकिस्तान के आम चुनाव में धांधली को लेकर सवाल उठाए तो पाकिस्तान भड़क गया. पाकिस्तान ने अमेरिका पर आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने तक का आरोप लगा दिया. दरअसल, अमेरिकी सभा ने बुधवार को एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसके कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान ने बयान जारी किया. प्रस्ताव में पाकिस्तान में फरवरी में हुए आम चुनाव की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए, जिसमें चुनाव में कथित अनियमितताओं की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है. इस खबर के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी ने भी आरोप लगाया है कि उसे जीत से वंचित करने के लिए चुनाव में हेरफेर किया गया था. 


'अपने चुनावों पर ध्यान दे अमेरिका'
अब पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान रचनात्मक बातचीत और सहभागिता में विश्वास करता है. अमेरिका का यह प्रस्ताव न तो रचनात्मक हैं और न ही उद्देश्यपूर्ण. वहीं, विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान की यह तीखी प्रतिक्रिया अमेरिका के साथ उसके संबंधों में परेशानी ला सकती है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी प्रस्ताव की आलोचना की और अमेरिका को सुझाव दिया कि वह खुद नवंबर में होने वाले अपने चुनावों में पारदर्शिता पर ध्यान दे. उन्होंने बुधवार को एक टीवी कार्यक्रम के दौरान कहा कि अमेरिका को पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. इससे पहले उन्होंने एक्स पोस्ट पर विदेशी सरकारों को हटाने में अमेरिका की संलिप्तता के ट्रैक रिकॉर्ड पर भी सवाल उठाया था. आसिफ ने गाजा में चल रहे युद्ध के दौरान इजरायल को दिए गए समर्थन का भी उल्लेख किया था. 


प्रस्ताव में क्या कहा गया है?
पाकिस्तान को लेकर प्रस्ताव 25 जून को अमेरिकी सभा में पेश किया गया था, जिसमें पाकिस्तानी सरकार से लोकतांत्रिक और चुनावी संस्थाओं को बनाए रखने का आग्रह किया गया था और पाकिस्तानी लोगों के अधिकारों के उल्लंघन के किसी भी प्रयास की निंदा की गई थी. यह प्रस्ताव कांग्रेस के 368 सदस्यों के भारी समर्थन से पारित हुआ, वहीं इसके विरोध में केवल 7 वोट पड़े. इसके बाद PTI ने भी दावा किया कि 8 फरवरी के चुनावों में उसे सबसे अधिक सीटें (93) जीतने के बावजूद उसका जनादेश चुराया गया. उसने प्रस्ताव पारित होने का स्वागत किया. पूर्व राष्ट्रपति आरिफ अल्वी पीटीआई के वरिष्ठ नेता भी हैं, उन्होंने इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया.


पाकिस्तान पर इसका नहीं पड़ेगा कोइ असर
पूर्व विदेश सचिव सलमान बशीर ने कहा कि प्रस्ताव को मिला भारी समर्थन अमेरिकी कांग्रेस के विचारों को दर्शाता है, लेकिन बशीर ने यह भी कहा कि इससे दोनों देशों के बीच संबंधों में कोई बाधा नहीं आएगी. उन्होंने अल जजीरा से कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह प्रस्ताव संबंधों को सुधारने में विवाद का विषय बनेगा.विदेश नीति विशेषज्ञ मुहम्मद फैसल ने टिप्पणी की कि अमेरिकी प्रस्ताव से पाकिस्तानी सरकार पर कोई खास दबाव नहीं पड़ेगा. उन्होंने इसे घरेलू अमेरिकी राजनीति का मामला बताया, जहां कुछ जिलों में पाकिस्तानी मूल के अमेरिकियों के वोट महत्वपूर्ण हैं.