(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'ये भारत का अधिकार क्षेत्र नहीं...', निखिल गुप्ता के परिवार के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर बोला चेक गणराज्य
निखिल गुप्ता को इस साल जून में अमेरिकी धरती पर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. निखिल अभी प्राग जेल में बंद हैं.
अमेरिका में खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश में गिरफ्तार आरोपी निखिल गुप्ता के परिवार को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने परिवार से चेक गणराज्य की कोर्ट से संपर्क करने को कहा है. उधर, चेक गणराज्य की भी इसपर प्रतिक्रिया आई है. चेक सरकार ने कहा कि भारत के न्यायिक अधिकारियों के पास निखिल गुप्ता से जुड़े मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है.
निखिल गुप्ता को जून में चेक गणराज्य से गिरफ्तार किया गया था. वह अभी प्राग जेल में बंद हैं. अमेरिका ने निखिल गुप्ता के प्रत्यर्पण के लिए चेक सरकार से संपर्क किया है और इससे संबंधित कार्यवाही जारी है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चेक न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता व्लादिमीर रेपका ने कहा, भारत के किसी भी न्यायिक अधिकारी के पास इस मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, मामला चेक गणराज्य के सक्षम अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में है.
दरअसल, निखिल गुप्ता के परिवार ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और प्रत्यर्पण कार्यवाही में हस्तक्षेप करने और मामले में निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार को निर्देश देने की अपील की थी. निखिल गुप्ता पर अमेरिका ने भारत के एक सरकारी अधिकारी के साथ मिलकर गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की नाकाम साजिश करने का आरोप लगाया है.
पंजाब का रहने वाला पन्नू खालिस्तानी आतंकी है. उसने सिख फॉर जस्टिस नाम का संगठन भी बना रखा है. पन्नू भारत के खिलाफ अकसर जहर उगलता रहता है और खुलेआम धमकी भी देता रहता है. उसके पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है. निखिल गुप्ता पर लगे आरोपों की जांच के लिए भारत ने एक जांच कमेटी का गठन किया है.
चेक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जिक्र किए गए उन आरोपों का भी जवाब दिया, जिनमें कहा गया था कि चेक गणराज्य में उनको पर्याप्त कानूनी प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा. व्लादिमीर रेपका ने कहा, चेक गणराज्य के कानून के अनुसार, बचाव पक्ष के वकील को हमेशा उस व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करना चाहिए जिसके खिलाफ प्रत्यर्पण कार्यवाही शुरू की गई है. रेपका ने कहा, अगर किसी व्यक्ति के पास वकील नहीं है, तो कोर्ट द्वारा तुरंत वकील नियुक्त किया जाता है.
उन्होंने बताया कि निखिल गुप्ता का प्रतिनिधित्व वकील पेट्र स्लेपिका कर रहे हैं. रेपका ने कहा कि चेक न्याय मंत्रालय के पास कोई जानकारी नहीं है, न ही गुप्ता या उनके बचाव पक्ष के वकील से कोई शिकायत मिली है कि उन्हें भारत के राजनयिक कार्यालय से संपर्क करने की अनुमति नहीं दी गई. उन्होंने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि गुप्ता को जेल में उचित खाना नहीं दिया जा रहा.