म्यांमार में सेना ने लोकतांत्रिक तरीके से नेता चुनी गईं स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची को नजरबंद करते हुए देश की बागडोर को एक साल के लिए अपने हाथ में ले लिया है. वहां पर सुबह और दोपहर तक संचार सेवाएं ठप हो गईं. राजधानी में इंटरनेट और फोन सेवाएं बंद हैं. देश के कई अन्य स्थानों पर भी इंटरनेट सेवाएं बाधित हैं. देश के सबसे बड़े शहर यांगून में कंटीले तार लगाकर सड़कों को जाम कर दिया गया और सिटी हिल जैसे सरकारी भवनों के बाहर सेना तैनात है.


क्या है चीन का म्यांमार तख्तापलट से संबंध?


म्यांमार में सत्ता और सेना के बीच टकराव का अमेरिका, भारत सहित दुनियाभर के देशों ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था को कुचले जाने पर चिंता जाहिर की. लेकिन, सवाल उठ रहा है कि म्यांमार में जो कुछ हो रहा है उसका चीन से क्या कनेक्शन है और इस पूरी घटना का भारत पर क्या असर होगा? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि चीन ने इस पूरे मामले में बेहद ठंडी प्रतिक्रिया दी है.


दरअसल, पूरे घटनाक्रम पर चीन ने कहा कि वह म्यांमार के घटनाक्रम को लेकर सूचनाएं जुटा रहा है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा- ''म्यांमार में जो कुछ हुआ है, हमने उसका संज्ञान लिया है और हम हालात के बारे में सूचना जुटा रहे हैं. 'चीन, म्यांमार का मित्र और पड़ोसी देश है। हमें उम्मीद है कि म्यांमार में सभी पक्ष संविधान और कानूनी ढांचे के तहत अपने मतभेदों को दूर करेंगे और राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता बनाए रखनी चाहिए.''


म्यांमार की घटना का भारत पर क्या असर


म्यांमार में सेना और सरकार के बीच टकराव के बाद जो कुछ हुआ है उसे नई दिल्ली के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता है. उसकी वजह ये है कि म्यांमार की ना सिर्फ सीमा भारत से जुड़ी हुई है बल्कि चीन से भी सटी हुई है. ऐसे में म्यांमार में होने वाली गतिविधियों का असर भारत-चीन पर होना स्वभाविक है. भारत कुछ मौकों पर म्यांमार के अंदर घुसकर इनके खिलाफ सैन्य कार्रवाई की है. नॉर्थ ईस्ट के कई अलगाववादी और उग्रवादी संगठन म्यांमार की जमीन से ही भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित करते हैं. ऐसी स्थिति में रक्षा जानकारों की मानें तो म्यांमार में ऐसी स्थिति बनने से भारत के लिए मुश्किलें आने वाले दिनों में खड़ी हो सकती है.


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