Myanmar Civil War: म्यांमार में लंबे समय से जारी गृह युद्ध में अब सत्तारूढ़ सेना जुंटा हार की कगार पर है. विद्रोहियों ने चीन की सीमा से लेकर भारत की सीमा तक लगभग कब्जा कर लिया है. ऐसी स्थिति में हजारों म्यांमार के लोग भारत में शरण के लिए मजबूर हो गए है. इस बीच म्यांमार से हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी भी बढ़ गई है. म्यांमार में चल रहे इस गृह युद्ध के दौरान चीन अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है.
चीन इस समय म्यांमार में सत्तारूढ़ जुंटा सेना और विद्रोही दोनों को हथियार की सप्लाई कर रहा है. दूसरी तरफ भारत सैन्य जुंटा को ही मदद दे रहा है. वहीं अब इस मसले को लेकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर खुलकर सामने आए हैं.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को नई दिल्ली में म्यांमार के डिप्टी पीएम थान श्वे से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने म्यांमार में जारी भारी हिंसा और अस्थिरता पर गहरी चिंता व्यक्त की. विदेश मंत्री ने म्यांमार से भारत में हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी को लेकर थान श्वे को आगाह किया. म्यामार में फरवरी 2021 में सैन्य शासन आने के बाद यह पहली बार है, जब भारत ने खुले तौर पर म्यांमार के किसी वरिष्ठ नेता से मुलाकात को सार्वजनिक किया है. म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद पश्चिमी देशों ने म्यांमार पर कई तरह के कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं.
एस जयशंकर ने म्यांमार के डिप्टी पीएम से क्या कहा?
एस जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "म्यांमार के डिप्टी पीएम यू थान श्वे आज नई दिल्ली से गुजर रहे थे, इस दौरान उनसे मुलाकात हुई. हमारी सीमा से लगते म्यांमार में जारी हिंसा और अस्थिरता को लेकर हमारी गहन चर्चा हुई. भारत म्यांमार को इस संकट से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करने को तैयार है. मैंने थान श्वे को अवैध मादक पदार्थ, हथियार और मानव तस्करी को लेकर आगाह किया. इसके साथ ही म्यावाडी में फंसे भारतीय नागरिकों की जल्द वापसी के लिए सहयोग की भी मांग की. इसके अलावा म्यांमार में चल रही हमारी परियोजनाओं के लिए सुरक्षा की मांग की. म्यांमार को सैन्य शासन से हटकर लोकतांत्रिक परिवर्तन के रास्ते पर आने का आग्रह किया. भारत म्यांमार को हर तरह की मदद करने के लिए तैयार है."
म्यांमार में सैन्य शासन मध्य इलाके में सिमटा
दरअसल, म्यांमार में सैन्य जुंटा को पिछले कुछ महीनों से करारी हार का सामना करना पड़ रहा है. विद्रोही गुट 'ऑपरेशन 102' चला रहे हैं, इसके तहत उन्होंने म्यांमार के सभी विदेशी व्यापार मार्गों पर कब्जा कर लिया है. विद्रोही गुटों ने म्यांमार सेना के सैकड़ों सैन्य अड्डों पर कब्जा कर लिया है. ऐसी स्थिति में सैन्य शासन देश के मध्य इलाके में ही सिमट कर रह गई है. अप्रैल महीने में विद्रोही सितवे पोर्ट की तरफ बढ़े थे, जिसे भारत बना रहा है. इस दौरान भारत को यहां काम रोकना पड़ा और उसने अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया.
म्यांमार में चीन सक्रिय
म्यांमार के विद्रोही गुट अब भारत की सीमा से लगते इलाकों में हिंसा कर रहे हैं, जो भारत के लिए चिंता की बात है. ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि म्यांमार का एक हथियारबंद गुट मणिपुर में हथियारों की तस्करी कर रहा है. साथ ही यह गुट म्यांमार में रहकर ऑनलाइन धोखाधड़ी कर रहा है. ये लोग भारत के लोगों को नौकरी का लालच देकर उनको अपने चंगुल में फंसा रहे हैं और साइबर फ्रॉड करवा रहे हैं. एस जयशंकर ने इन भारतीयों को विद्रोही गुट से छुड़ाने में मदद की अपील की है. भारत इस समय कोई भी ऐसा कदम नहीं उठा रहा है जिससे चीन को लाभ हो, क्योंकि चीन म्यांमार में इस समय काफी सक्रिय है.
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