रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने की पीएम मोदी की तारीफ, कहा- 'जिम्मेदार' नेता हैं भारतीय प्रधानमंत्री, भारत-चीन के मुद्दों को सुलझाने में सक्षम
दरअसल, पिछले साल पांच मई को पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध के हालात बने थे. यह 45 साल में पहली बार था कि गतिरोध के दौरान दोनों पक्षों के सैनिक मारे गए थे.
सेंट पीटर्सबर्ग: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शनिवार को इस बात पर जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग दोनों 'जिम्मेदार नेता' हैं. दोनों देशों के बीच मुद्दों का समाधान करने में सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि 'क्षेत्र से इतर किसी भी ताकत' को इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
चार देशों के समूह क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) की रूस द्वारा सार्वजनिक रूप से आलोचना करने के बीच पुतिन ने कहा कि किसी राष्ट्र को किसी पहल में किस तरह शामिल होना चाहिए और उन्हें अन्य देशों के साथ किस सीमा तक संबंध बनाने चाहिए, यह आंकलन करने का काम मॉस्को का नहीं है. लेकिन कोई भी साझेदारी किसी अन्य के खिलाफ एकजुट होने के मकसद से नहीं होनी चाहिए. क्वाड और इस समूह में भारत के शामिल होने पर मॉस्को की राय के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में पुतिन की यह टिप्पणी चीन के उस दावे की पृष्ठभूमि में आई है कि राष्ट्रों का यह समूह रणनीतिक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बीजिंग के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत के साथ रूस की साझेदारी, मॉस्को और बीजिंग के बीच संबंध में कोई 'विरोधाभास' नहीं है.
"किसी को भी बीचे में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए"
पुतिन ने कहा, 'हां, मैं जानता हूं कि भारत और चीन के संबंधों से जुड़े कुछ मुद्दे हैं लेकिन पड़ोसी देशों के बीच अनेक मुद्दे हमेशा से होते हैं. हालांकि, मैं भारत के प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति, दोनों के रूख से अवगत हूं. वे बहुत ही जिम्मेदार लोग हैं और एक-दूसरे के साथ दृढ़ निश्चय व पूरे सम्मान के साथ पेश आते हैं. मुझे भरोसा है कि सामने कोई भी मुद्दा आ जाए, वे उसका समाधान निकाल ही लेंगे. लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि क्षेत्र से इतर किसी भी ताकत को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.'
बता दें कि पिछले साल पांच मई को पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध के हालात बने थे. यह 45 साल में पहली बार था कि गतिरोध के दौरान दोनों पक्षों के सैनिक मारे गए थे. पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों को पीछे हटाने के मामले में हालांकि सीमित प्रगति हुई है तथा टकराव के अन्य बिंदुओं पर भी ऐसे ही कदम उठाने के लिए वार्ता में गतिरोध बना हुआ है.
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