Artemis-1 Launch: नासा के आर्टेमिस-1 मिशन की लॉन्चिंग टली, इंजन 3 में आई खराबी
Artemis-1 Launch: आज नासा आर्टेमिस-1 मिशन के तहत अपने शक्तिशाली रॉकेट को लॉन्ज करने वाला था, लेकिन अब इस लॉन्च को रोक दिया गया है. यहां जानिए आखिर ऐसा क्यों हुआ है?
NASA Artemis-1 Rocket Launch: नासा (NASA) आज अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट को लॉन्च करने जा रहा था, लेकिन अब ये लॉन्चिंग टाल दी गई है. आज 'मून रॉकेट' का लॉन्च नहीं होगा. नासा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसकी पुष्टि की है. नासा ने बताया है कि रॉकेट के इंजन नंबर तीन में खराबी आ गई है, जिसके बाद लॉन्च को टाल दिया गया है. बता दें कि नासा की तरफ से लॉन्च के लिए दो वैक्लिपक दिन रखे गए हैं. अब इस लॉन्च को 2 या 5 सितंबर को किया जा सकता है.
The launch of #Artemis I is no longer happening today as teams work through an issue with an engine bleed. Teams will continue to gather data, and we will keep you posted on the timing of the next launch attempt. https://t.co/tQ0lp6Ruhv pic.twitter.com/u6Uiim2mom
— NASA (@NASA) August 29, 2022
यहां जानिए रॉकेट लॉन्च से जुड़ी जानकारी
322 फुट का ये रॉकेट नासा द्वारा बना गया अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा तक जाएगा, कुछ छोटे सैटेलाइट को कक्षा में छोड़ेगा और खुद कक्षा में स्थापित हो जाएगा.
नासा का सबसे शक्तिशाली रॉकेट
यह आर्टेमिस-1 नई अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली की पहली उड़ान होगी. यह हेवी लिफ्ट (भारी वस्तु कक्षा में स्थापित करने में सक्षम) रॉकेट है जैसा कि नासा उल्लेख करता है. इसमें अब तक प्रक्षेपित रॉकेट्स के मुकाबले सबसे शक्तिशाली इंजन लगे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले दो आर्टेमिस मिशन (Artemis Mission) सफल होते हैं, तो नासा का लक्ष्य अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर वापस लाना है, जिसमें 2025 की शुरुआत में चंद्र सतह पर पैर रखने वाली पहली महिला भी शामिल है. हालांकि कई विशेषज्ञों का मानना है कि समय सीमा कुछ थोड़ी आगे बढ़ाई जा सकती है.
क्यों खास है ये मिशन?
आर्टेमिस-1 मिशन में किसी भी तरह से क्रू का इस्तेमाल नहीं किया गया है. ये चंद्रमा के लिए तेजी से जटिल मिशनों की श्रृंखला में पहला होगा, जो आखिर में मनुष्यों को पृथ्वी के एकमात्र उपग्रह में वापस ले जाएगा. यह परीक्षण बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऑरियन क्रून कैप्सूल का वास्तविक कार्य देखने को मिलेगा. यह प्रशिक्षण चंद्रमा के अंतरिक्ष वातावरण में करीब एक महीने होगा. लगभग छह सप्ताह के लंबे मिशन के दौरान, एसएलएस और ओरियन चंद्रमा और वापस जाने के लिए लगभग 65,000 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे.
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