NASA Artemis Moon Mission: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा मून मिशन (NASA Moon Mission) 'आर्टेमिस-1' को बुधवार (16 नवंबर) को आखिरकार सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया. इसे फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर (Kennedy Space Center) से लॉन्च किया गया. नासा का यह तीसरा प्रयास है. आर्टेमिस-1 (Artemis-1) मिशन नासा के मंगल मिशन के बाद सबसे महत्वपूर्ण मिशन है. नासा इस मिशन के जरिए चांद पर ओरियन अंतरिक्ष यान भेज रहा है. अंतरिक्ष यान 42 दिनों में चांद की यात्रा कर वापस लौटेगा. 50 साल पहले यूएस अपोलो मिशन के बाद पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर उतारने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है.


पहली कोशिश इसलिए हुई नाकाम


अमेरिका के लिए नासा आर्टेमिस-1 मून मिशन नाक का सवाल बन चुका था. इसके जरिए वह स्पेस में अपनी धाक जमा चीन (China) और रूस (Russia) समेत दुनिया के बाकी देशों को पीछे छोड़ना चाहता है. हालांकि, पहेल दो प्रयासों में नासा को सफलता नहीं मिली. दरअसल, 29 अगस्त को नासा ने फ्लोरिडा के तट पर स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से आर्टेमिस-1 को छोड़ने के पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन आखिरी वक्त में रॉकेट के इंजन के टेम्प्रेचर सेंसर में आई खराबी, इन्सुलेशन फोम में आई कुछ दरारें, हाइड्रोजन रिसाव और खराब मौसम की वजह से इसे लॉन्च नहीं किया जा सका. 


दूसरी को कोशिश भी रही विफल


आर्टेमिस-1 को लॉन्च करने की पहली कोशिश विफल होने के बाद एक बार से कोशिश की गई. इस बार इसे लॉन्च करने के लिए दो घंटे की लॉन्च विंडो रखी गई थी. लेकिन आर्टेमिस-1 की लॉन्चिंग से ठीक एक दिन पहले ही बताया गया कि तकनीशियनों ने फ्यूल लीक करने वाली एक लाइन की मरम्मत की है, लेकिन फ्यूल लीक का समाधान नहीं हो सका था. इसलिए दूसरी बार भी आर्टेमिस-1 को लॉन्च करने का फैसला टालना पड़ा.


आखिर क्या है आर्टेमिस-1 मून मिशन?


अमेरिका अपने मून मिशन आर्टेमिस-1 के जरिए 50 साल बाद एक बार फिर इंसानों को चांद पर भेजने की तैयारी कर रहा है. ओरियन अंतरिक्ष यान को मानव अंतरिक्ष यात्रा के लिए डिजाइन किया गया है. अंतरिक्ष यान सबसे पहले पृथ्वी से चंद्रमा तक 4.50 लाख किमी की यात्रा करेगा. ओरियन अंतरिक्ष यान इतनी दूर की यात्रा करने वाला पहला अंतरिक्ष यान होगा.


यह मुख्य चंद्रमा मिशन के लिए एक परीक्षण उड़ान है, जिसमें कोई अंतरिक्ष यात्री नहीं होगा. नासा के वैज्ञानिक आर्टेमिस-1 के जरिए चांद और उसपर जीवन की संभावनाओं को लेकर परीक्षण करना चाहते हैं. इसके जरिए वैज्ञानिक यह भी पता लगाने की कोशिश करेंगे कि क्या इस उड़ान ने चंद्रमा के आसपास की परिस्थितियों को अंतरिक्ष यात्रियों के लिए उपयुक्त बनाया? इसके अलावा क्या चांद पर जाने के बाद अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौट सकते हैं? 


2024 में भेजे जाएंगे अंतरिक्ष यात्री


हालांकि इस उड़ान के बाद साल 2024 के मिशन में इसमें अंतरिक्ष (Astronauts) यात्री जाएंगे. अभी इसे उसी तरह से बनाया गया है और इसलिए इसमें तीन पुतले (Mannequins) भेजे जा रहे हैं जो पूरी तरह से इंसान जैसे बनाए गए हैं. इन पुतलों में दो फिमेल और एक मेल की तरह डिजाइन किया गया है. 


चंद्रमा के चारों ओर एसएलएस (Space Launch System- SLS) रॉकेट और इसके ओरियन कैप्सूल को लॉन्च किया जाना है और ये  37 दिनों बाद इस सफर से वापस लौटेगा. इसमें ओरियन (Orion) एक खोज यात्रा वाहन के तौर पर काम करेगा जो चालक दल को अंतरिक्ष में ले जाएगा. 


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