NASA News: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने 17 ऐसे एक्सोप्लैनेट्स (सूर्य जैसे तारे का चक्कर लगाने वाले ग्रह) या कहें ग्रहों की खोज की है, जिनकी बर्फीली सतह के नीचे जीवन को सपोर्ट करने वाले महासागर मौजूद हो सकते हैं. दुनियाभर की अन्य एजेंसियों की तरह ही नासा भी पृथ्वी के अलावा दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश कर रही है. ये मानकर चला जाता है कि कुछ ग्रह पर भले ही बहुत ज्यादा ठंड हो, लेकिन उनकी बर्फीली सतह के नीचे जीवन मौजूद हो सकता है.
नासा ने एक बयान में कहा, 'इन महासागरों का पानी कभी-कभी बर्फ की परत के जरिए गीजर के रूप में सतह से बाहर निकलता है. साइंस टीम ने इन एक्सोप्लैनेट पर गीजर गतिविधि की मात्रा की गणना की, पहली बार ये अनुमान लगाए गए हैं.' इन 17 एक्सोप्लैनेट्स को खोजने का काम नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की डॉ लिने क्विक के नेतृत्व वाली टीम ने किया है. उन्होंने इन एक्सोप्लैनेट्स को लेकर एक स्टडी भी जारी है, जिसमें इनके बारे में ज्यादा जानकारी दी गई है.
स्टडी में क्या कहा गया है?
स्टडी में इस बात पर फोकस किया गया है कि 'हैबिटेबल जोन' (वो जगह जहां मौजूद ग्रह पर जीवन मौजूद होने की संभावना हो) के बजाय हमें ठंडे एक्सोप्लैनेट्स पर जीवन ढूंढने के लिए काम करना चाहिए. ठंडे ग्रहों की बर्फीली सतह के नीचे महासागर मौजूद हो सकते हैं. इसमें बताया गया है कि ग्रह के नीचे मौजूद महासागर इसके इंटरनल हीटिंग मैकेनिज्म का इस्तेमाल कर रहे होंगे. हमारे सौरमंडल में मौजूद यूरोपा और इंक्लेडस नाम के चंद्रमाओं पर भी ऐसा ही होता है.
डॉ लिने क्विक ने बताया कि हमारे विश्लेषण के मुताबिक इन 17 बर्फीली दुनियाओं में बर्फ से ढकी सतहें मौजूद हो सकती हैं. मगर इन ढकी सतहों के नीचे मौजूद महासागरों में पानी को जमने से बचाने के लिए इनके सूर्य से रेडियोएक्टिव तत्व और ज्वार बल की मदद मिल रही होगी. इन दोनों चीजों की मदद से इतनी हीटिंग मिल रही होगी, जो पानी को आसानी से जमने नहीं देती है. यही वजह है कि हीटिंग के चलते कई बार महासागरों का पानी सतह को चीरकर बाहर भी आ रहा है.
क्या इन ग्रहों पर जीवन मौजूद हो सकता है?
हालांकि, इस स्टडी में ये नहीं बताया गया है कि ग्रहों की बनावट किस तरह से हुई है. मगर पानी की मौजूदगी कहीं न कहीं इस बात संकेत भी देती है कि इन ग्रहों पर जीवन भी मौजूद हो सकता है. ये भी हो सकता है कि जीवन अभी बैक्टीरिया और माइक्रोब्स की अवस्था में हो. हालांकि, नासा की स्टडी में ग्रहों पर जीवन की मौजूदगी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा गया है. ऐसे में किसी ठोस नतीजे पर पहुंचना जल्दबादी होगी.