NASA Capsule Asteroid Sample: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का एक कैप्सूल रविवार (24 सितंबर) को एस्टेरॉयड बेन्नू (Bennu) से कलेक्ट किया सैंपल लेकर पृथ्वी पर वापस आया. ये कैप्सूल अंतरिक्ष से सात साल के बाद एस्टेरॉयड का सैंपल लेकर अमेरिका के यूटा रेगिस्तान में उतरा.
इस सैंपल से ये जानकारी मिलेगी कि 4.5 अरब साल पहले सूरज, सौर मंडल, ग्रह कैसे बने थे. इससे ये जानकारी मिलने की भी उम्मीद है कि उन जीवों की उत्पत्ति हुई जिनके कारण पृथ्वी पर जीवन संभव हुआ. नासा के अनुसार, ये उन एस्टेरॉयड के बारे में भी जानकारी दे सकता है जो भविष्य में पृथ्वी को प्रभावित कर सकते हैं.
2016 में लॉन्च किया गया था मिशन
OSIRIS-REx नामक इस मिशन को 8 सितंबर 2016 को लॉन्च किया गया था. इसकी खास बात ये रही कि इस मिशन के स्पेसक्राफ्ट ने धरती पर लैंडिंग के बिना ही सैंपल को यहां पहुंचाया है. ओसिरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी से करीब एक लाख किमी (63,000 मील) दूर से ये सैंपल कैप्सूल छोड़ा था. करीब चार घंटे बाद (भारतीय समय अनुसार रात 8:23 बजे) ये जमीन पर उतरा.
कब जारी होगी जानकारी?
इससे पहली ही यूटा रेगिस्तान में ओसिरिस-रेक्स और मिलिट्री रिकवरी टीम कैप्सूल के लिए मौजूद थी. एस्टेरॉयड बेन्नू के सैंपल को अब यूटा रेगिस्तान रेंज में एक अस्थायी क्लीन लैब में ले जाया जाएगा और फिर सोमवार ये सीलबंद कंटेनर में ह्यूस्टन भेजा जाएगा. नासा के प्रमुख क्यूरेटर निकोल लुनिंग ने कहा कि इससे जानकारी हासिल करने में कुछ सप्ताह लगेंगे. नासा अक्टूबर में इसकी जानकारी सार्वजनिक करने की योजना बना रहा है.
पृथ्वी पर मचा सकता है तबाही
नासा के मुताबिक, कैप्सूल में 250 ग्राम सैंपल हो सकता है. आजतक के मुताबिक, नासा का मानना है कि जिस उल्कापिंड ने डायनासोरों को पृथ्वी से खत्म किया था बेन्नू उससे 20 गुना कम चौड़ा है, लेकिन अगर ये पृथ्वी से कभी टकराया तो बड़ी तबाही हो सकती है. ओसिरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान करीब 643 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करके लौटा है.
OSIRIS-REx के प्रोजेक्ट मैनेजर रिच बर्न्स का मानना है कि इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना 2700 में एक ही है. एस्टेरॉयड 101955 बेन्नू 1999 में खोजा गया था. ये करीब 4.5 अरब साल पहले कार्बन रिच एस्टेरॉयड से टूटकर बना था और लट्टू की तरह दिखता है. इस कैप्सूल में जिस उल्कापिंड की मिट्टी का सैंपल है, वो 2182 में पृथ्वी से टकरा सकता है.
ये भी पढ़ें-
Chandrayaan-3: अगर नहीं जागे विक्रम और प्रज्ञान तो क्या होगा? संपर्क बनाने की कोशिश में इसरो