दुनिया की सबसे ताकतवर माने जाने वाली स्पेस एजेंसी नासा (नेशनल एरोनोटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) भले ही अमेरिका की हो, लेकिन उसमें एजेंसी में सबसे ज्यादा काम करने वाले भारतीय ही है. यानि की दुनिया भर में भारतीयों के हुनर का डंका बज रहा है. अब भारतीयों के हुनर की गूंज सिर्फ दुनिया में नही बल्कि मंगल ग्रह पर भी सुनाई दे रही है. दरअसल नासा में काम करने वाली भारतीय मूल की अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. स्वाति मोहन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होनें अपने भारत की संस्कृति को दर्शाते हुए माथे पर बिंदी लगाई हुई है.
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के पर्सवियरेन्स रोवर मिशन 2020 को मंगल का सबसे खतरनाक मिशन माना जा रहा है. इस मिशन को गुरूवार को नासा के पर्सेवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर लैंड कराने में भारतीय मूल की अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. स्वाति मोहन की भूमिका काफी अहम है. जिन्होंने मंगल 2020 मिशन के मार्गदर्शन, नेविगेशन और नियंत्रण में बङी भूमिका निभायी. लगभग 3:55 बजे पूर्वी समय (2055 जीएमटी) पर डॉ स्वाति मोहन की "टचडाउन कनफर्मड" की आवाज सुनते ही नासा के पासाडेना में जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला में मिशन नियंत्रण करने वाले सभी लोग खुशी से चीयर्स करने लगे.
नासा ने अपने इस सबसे खास मिशन की फोटोज और ट्वीटर पर शेयर किए हैं. जहां सभी नासा के इस मिशन की तारीफ कर रहे हैं, वहीं भारतीय ट्विटर यूजर्स के बीच डॉ. स्वाति मोहन की बिंदी काफी लोकप्रिय हो रही है. मिशन को कामयाब बनाने के लिए स्वाति मोहन नासा के कंट्रोल रूम में बैठी थीं और इस दौरान उन्होंने माथे पर बिंदी भी लगाई हुई थी. उसके साथ ही उनके चेहर पर मास्क भी नजर आ रहा था.
इस बिंदी को देख देसी ट्विटर (Twitter) यूजर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. सभी उनकी इस कामयाबी से काफी खुश हैं.
बतातें कि डॉ. स्वाति जब भारत से अमेरिका गईं तब वो केवल एक साल की थीं, जिसके बाद वो उत्तरी वर्जीनिया और वाशिंगटन में पली बढ़ी. उन्होंने मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में कॉर्नेल विश्वविद्धायल से स्नातक की डिग्री पूरी की. उनकी एम.एस. और पीएचडी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से एरोनॉटिक्स / एस्ट्रोनॉटिक्स में हुई है.
नासा के साथ अपने करियर के दौरान डॉ. स्वाति ने शनि और GRAIL के लिए कैसिनी मिशन पर काम किया है. और साथ ही वो 2013 में चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उड़ाने और मंगल 2020 मिशन से तो शुरुआत से ही जुङी हुई है. डॉ. स्वाति का कहना है कि अंतरिक्ष में उनकी रुचि नौ साल की उम्र में स्टार ट्रेक को देखने के बाद बढ़ी थी.
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