NASA's Curiosity Rover: लाल ग्रह यानी मंगल ग्रह पर नासा के क्यूरियॉसिटी रोवर ने एक अजीब खोज की है. नासा के रोवर ने मंगल ग्रह पर एक ऐसी चट्टान की खोजी की है, जो एक खुली किताब की तरह दिखाई दे रही है. इस खोज को देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं. वैज्ञानिकों से इसे टेरा फिरमे नाम दिया है. इससे पहले मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी के लिए कई तरीके से खोज कार्य चल रहा है.


2012 से खोज करने में जुटा है क्यूरियॉसिटी


नासा का क्यूरियॉसिटी रोवर मंगल पर साल 2012 से ही मौजूद है और खोज कर रहा है. अब रोवर की नई खोज को लेकर वैज्ञानिकों ने बताया कि मंगल ग्रह पर चट्टानों के असामान्य आकार पाए गए हैं. उनका कहना है कि अक्सर इस तरह की चीजों का निर्माण वहां अरबों साल पहले हुए जल गतिविधि के परिणामस्वरूप देखने को मिल रहा है.  


सैंपलों से पानी के होने की उम्मीद


वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल पर लंबे समय तक पानी की उपस्थिति से चट्टानों में दरार के कारण जो रिसाव हुआ उससे वहां कठोर खनिज जमा हो गए. वहीं जब पानी सूख गया और हवा के कटाव के कारण जब चट्टान का क्षरण हुआ तो वहां पर सिर्फ ठोस पदार्थ ही बचे रह गए. इसके परिणामस्वरूप मंगल ग्रह की सतह पर अनोखी आकृतियां दिखाई देती हैं. इसी तरह की आकृति जिसका नाम टेरा फिरमे है की तस्वीर क्यूरियॉसिटी के मार्स हैंड लेंस इमेजर ने खींची है. बता दें कि लेंस इमेजनर के जरिए विस्तृत फोटो खींची जाती है और इनसे कई महत्वपूर्ण डेटा इकट्ठा किया जाता है.


2030 तक सैंपलों को धरती पर लाना चाहता है नासा


जेपीएल ने बताया है कि नासा का क्यूरियॉसिटी रोवर गेल क्रेटर में अगस्त 2012 से ही खोज करने में जुटा है. वहीं, नासा ने मंगल पर एक अन्य मिशन के तहत पर्सीवरेंस रोवर जेजेरो क्रेटर में खोज कार्य में जुटा हुआ है. पर्सीवरेंस रोवर मंगल ग्रह की चट्टानों पर ड्रिल करके पुराने समय में वहां पर जीवन होने के सबूतों की खोज कर रहा है.


नासा के वैज्ञानिकों का यह भी प्रयास है कि इन ट्यूब्स को किसी तरह से वापस धरती पर लाया जाए ताकि इसकी जांच की जा सके. एक अनुमान के मुताबिक साल 2030 तक इसके पृथ्वी पर वापस आने की उम्मीद जताई गई है.


सैंपलों की वापसी में लग सकता है लंबा समय


वहीं, मंगल ग्रह से इन कीमती नमूनों को धरती पर वापस लाने के लिए नासा ने एक अंतरिक्ष यान और कुछ मिनी हेलीकॉप्टर भेजने की योजना बनाई है. हालांकि नासा के वैज्ञानिक यह मान कर चल रहे हैं कि इन सैंपलों की वापसी के मिशन में लंबा समय लग सकता है. यह भी हो सकता है कि तब तक शायद पर्सीवरेंस रोवर अपना काम करना बंद कर दे. इसी को देखते हुए नासा ने सभी सैंपल की एक कॉपी ट्यूब मंगल ग्रह की सतह पर गिरा दी है. ताकि अगर रोवर से सैंपल नहीं मिले तो जब वहां पर हेलीकॉप्टरों को भेजा जाएगा तो वे आसानी से उस सतह के सैंपल उठा सकेंगे.


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