मुंबई हमले पर पाक को बेनकाब करने के बाद शरीफ ने फिर दिया बड़ा बयान
शरीफ ने एक इंटरव्यू में पहली बार सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार किया था कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन खुलकर काम कर रहे हैं. इसी में उन्होंने सीमा पार करने और 26/11 के आंतकी हमले में मुंबई में लोगों की ‘हत्या’ के लिये ‘राज्य से इतर तत्वों’ (नॉन स्टेट एक्टर्स) को शह देने की नीति पर सवाल उठाया था.
नई दिल्ली/लाहौर: मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमले पर अपने कबूलनामे की वजह से पाकिस्तान के पू्र्व पीएम नवाज़ शरीफ चौतरफा निशाने पर आ गए हैं. मामले के ज़रूरत से ज़्यादा तूल पकड़ने के बाद उनका कहना है कि मीडिया ने उनकी बातों की ‘गलत तरीके से समझ’ है. शरीफ ने एक इंटरव्यू में पहली बार सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार किया था कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन खुलकर काम कर रहे हैं. इसी में उन्होंने सीमा पार करने और 26/11 के आंतकी हमले में मुंबई में लोगों की ‘हत्या’ के लिये ‘राज्य से इतर तत्वों’ (नॉन स्टेट एक्टर्स) को शह देने की नीति पर सवाल उठाया था.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री (68) ने कहा था कि पाकिस्तान ने खुद को अलग-थलग कर रखा है. शरीफ के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘शुरू में भारतीय मीडिया ने नवाज शरीफ के बयान की गलत व्याख्या की. दुर्भाग्य से बयान के सभी तथ्यों को जाने बगैर पाकिस्तान के इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया ने भी जानबूझकर या ना सिर्फ ऐसा करने में भारत का साथ दिया, बल्कि भारतीय मीडिया के दुष्प्रचार को बल दिया.’’
शरीफ के कबूलनामे से भारत का पक्ष साबित होता है: सीतारमण
इसके पहले रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पाकिस्तान में सत्ता से बेदखल किए जा चुके पीएम शरीफ के कबूलनामे को गंभीर खुलासा’ करार दिया. रक्षा मंत्री ने कहा कि इससे भारत का पक्ष साबित होता है कि 26/11 के मुंबई हमले को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी थे.
सीतारमण ने कहा, ‘‘यह काफी गंभीर खुलासा है. भारत का यह कहना रहा है कि मुंबई आतंकवादी हमले का सरगना पाकिस्तान से काम कर रहा था. हमारा मानना है कि हमले के सूत्रधार पाकिस्तान में थे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह (शरीफ का कबूलनामा) साबित करता है कि भारत का रुख हमेशा से ठीक था.’’ आपको बता दें कि पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पनामा पेपर्स मामले में शरीफ को आजीवन सार्वजनिक पद पर रहने से बैन कर दिया है.
आपको बता दें कि शरीफ ने डॉन अखबार से कहा कि पाकिस्तान ने खुद को अलग-थलग कर रखा है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने खुद को अलग-थलग कर रखा है. बलिदान देने के बावजूद हमारी बातों को स्वीकार नहीं किया जा रहा है. अफगानिस्तान की बात स्वीकार की जा रही है लेकिन हमारी नहीं. हमें इस पर गौर करना होगा.’’
सीतारमण ने कहा, ‘‘भारतीय सेना को सुनिश्चित करना होगा कि भारत सुरक्षित देश बने. इसे किसी भी आतंकवाद का दृढ़ता से मुकाबला करना होगा जो जम्मू-कश्मीर और बाकी के भारत की शांति और सौहार्द को खतरा पहुंचाता हो.’’
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