करीब एक चौथाई ब्रिटिश हेल्थ केयर वर्कर्स को कोविड-19 वैक्सीन पर है संदेह, रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा
11,584 स्टाफ पर किए गए रिसर्च से पता चला कि संकोच BAME वर्कर्स समेत युवा स्टाफ के बीच ज्यादा था. इस संकोच की वजह को बेहतर तरीके से समझने के लिए शोधकर्ताओं ने NHS और अन्य स्वास्थ्य प्रदाता जैसे दंत चिकित्सक के 11,584 क्लीनिकल और गैर क्लीनिकल स्टाफ को भर्ती किया.
एक चौथाई ब्रिटिश हेल्थ केयर वर्कर्स कोविड-19 वैक्सीन का डोज नहीं लगवाना चाहते हैं. दरअसल, कोविड-19 वैक्सीन को लेकर उनके मन में संदेह है. इसका खुलासा NHS के पहले व्यापक रिसर्च से हुआ है. शोधकर्ताओं का कहना है कि षड़यंत्र में विश्वास, वैक्सीन के परीक्षण में अश्वेत और जातीय अल्पसंख्यक प्रतिभागियों की कमी, या पूर्व के संक्रमण से कोविड-19 इम्यूनिटी की सोच प्रमुख वजहों में शामिल है.
ब्रिटेन में भी कोविड-19 वैक्सीन पर लोगों को है संदेह
शोधकर्ता और लीसेस्टर यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोगों के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर मनीष पारीक ने कहा, "इन कारकों को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसको समझे बिना आप कोई भी रणनीति लागू नहीं कर सकते." पारीक और उनके साथी पूर्व में अश्वेत और दक्षिण एशियाई स्वास्थ्य कर्मियों, 30 साल से नीचे के वर्कर्स और ज्यादा वंचित इलाकों में रहनेवाले लोगों के बीच कोविड-19 टीकाकरण की कम दर का पता लगा चुके हैं.
हेल्थ केयर वर्कर्स की एक चौथाई वैक्सीन की अनिच्छुक
संदेह की वजह को बेहतर तरीके से समझने के लिए उन्होंने 11,584 क्लीनिकल और गैर क्लीनिकल स्टाफ को भर्ती किया. उसी तरह कोविड-19 टीकाकरण के प्रति उनके रुझान को जानने के लिए विस्तृत प्रश्नावली पूरा कराया गया. कुछ प्रतिभागियों की चिंताओं को अधिक व्यापक रूप से समझने के लिए इंटरव्यू करना पड़ा. रिसर्च में पाया गया कि 23 फीसद स्वास्थ्य कर्मी कोविड-19 वैक्सीन इस्तेमाल करने में संदेह करते हैं और ये संदेह BAME स्वास्थ्य कर्मियों के बीच ज्यादा आम है, विशेषकर उन लोगों में जिनका संबंध अश्वेत कैरेबियन ग्रुप से है. हालांकि, कुछ श्वेत स्वास्थ्य कर्मी भी कोविड-19 वैक्सीन नहीं लगवाने का विचार रखते हैं. युवा स्टाफ, प्रेगनेन्ट महिलाएं और फ्लू का टीकाकरण नहीं करवाने वाले लोग कोविड-19 वैक्सीन को संदेह की नजर से देखते हैं.
पारीक ने कहा, "बहुत सारे हेल्थ केयर वर्कर्स जो पिछले 12 महीनों में संक्रमित रहे हैं, उनका मानना है कि उन्हें इम्यूनिटी प्राप्त होने पर वैक्सीन की जरूरत नहीं रही." संदेह की अन्य अग्रणी वजहों में वैक्सीन का तेजी से विकास के चलते पैदा हुई सुरक्षा की चिंता शामिल थी. भेदभाव का अनुभव और संरचनात्मक असमानता ने भी विशेषकर अश्वेत और कैरेबियन हेल्थ वर्कर्स के बीच संदेह को बढ़ावा दिया दिया.
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में मेडिकल शिक्षा के एसोसिएट प्रोफेसर कैथरीन वूल्फ ने बताया कि हेल्थ केयर वर्कर्स के बीच गलत सूचना और अविश्वास दूर कर वैक्सीन के प्रति संदेह का मुकाबला किया जा सकता है. उन्होंने कहा, "हमें तत्काल प्रभाव से विश्वास बहाली और कोविड-19 वैक्सीन से जुड़ी मिथक को दूर करने के लिए रणनीति बनाने की जरूरत है, विशेष रूप से उन समुदायों में जहां बड़े पैमाने पर शक किया जाता है. इसके लिए संचार साधनों और विश्वसनीय नेटवर्क का इस्तेमाल किया जा सकता है"
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