(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Nelson Mandela Death Anniversary: रंग भेद के खिलाफ लड़ते हुए 27 साल जेल में बिताए, जानें नेल्सन मंडेला का क्यों कहा जाता है दक्षिण अफ्रिका का गांधी
Nelson Mandela's Death Anniversary: जैसे भारत में स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी गई थी वैसे ही दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन ने आजादी के साथ रंगभेद के खिलाफ काफी संघर्ष किया है.
Nelson Mandela's Death Anniversary: आज अफ्रीका के 'गांधी' कहे जाने वाले नेल्सन मंडेला की पुण्यतिथी है. दुनिया भर में शांति के दूत के रूप में प्रसिद्ध नेल्सन मंडेला का दक्षिण अफ्रीका को आजादी के साथ रंगभेद के भी खिलाफ लड़ाई में योगदान कोई भुला नहीं सकता. मंडेला ने रंग भेद के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी है इस दौरान ही उन्होंने 27 साल जेल में काटे थे. 5 दिसंबर को दुनिया उनकी पुण्यतिथि पर उनके योगदान के लिए याद कर रही है.
नेल्सन मंडेला का पूरा नाम नेल्सन रोलिह्लाला मंडेला था. उनका जन्म 18 जुलाई 1918 को दक्षिण अफ्रीका के केप प्रांत में उम्टाटा के म्वेजो गांव में हुआ था. मंडेला के पिता कस्बे के जनजातीय सरदार थे. हालांकि उनके पिता की मृत्यु 12 साल की उम्र में हो गई थी. पिता के मृत्यु के बाद नेल्सन ने वकालत की पढ़ाई करने की ठानी और अपनी जाति के सरदार के पद को त्याग दिया था. हालांकि वकालत खत्म होने से पहले ही उन्होंने राजनीति में कदम रख दिया था.
दरअसल मंडेला साल 1944 में अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. लोगों के बीच अपनी छाप छोड़ने वाले नेल्सन ने जल्द ही अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की और तीन साल बाद उसके सचिव भी बने. इसके कुछ साल बाद ही मंडेला अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के कार्यकारी समिति के सदस्य भी चुने गए.
बता दें कि जैसे भारत में स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी गई थी वैसे ही दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन ने आजादी के साथ रंगभेद के खिलाफ बड़ा संघर्ष किया है. रंगभेद के विरूद्ध आंदोलन की शुरुआत मंडेला ने 1944 में शुरू किया था. उस वक्त मंडेला अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल थे. इसी साल उन्होंने अपने दोस्तों और समर्थनकारियों के साथ मिल कर अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की. 1947 में वे लीग के सचिव भी चुने गये.
देशद्रोह का मुकदमा चला
मंडेला और उनके मित्रों पर साल 1961 में देशद्रोह का भी मुकदमा चला है लेकिन उसमें उन्हें निर्दोष माना गया. इसके बाद एक बार फिर उनकी गिरफ्तारी 5 अगस्त 1962 को हुई थी. उस वक्त उन्हे मजदूरों को हड़ताल के लिए भड़काने और बिना अनुमति लिए देश छोड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद उनपर मुकदमा चलाया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. वहीं साल 1964 से 1990 तक रंगभेद के खिलाफ शुरू किए आंदोलन के चलते भी उन्हें अपनी जीवन का 27 साल जेल में बिताना पड़ा. सजा के दौरान उन्हें रॉबेन द्वीप के कारागार में रखा गया था जहां उन्हें कोयला खनिक का काम करना पड़ा था.
नितिन गडकरी ने दी श्रद्धांजलि
वहीं इस मौके पर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नेल्सन मंडेला को याद किया है. उन्होंने कू ऐप के उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "भारत रत्न नेल्सन मंडेला जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि."
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