India Nepal Relations: नेपाली सेना की चीनी सेना के साथ नजदीकियां तेजी से बढ़ रही हैं. यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल 'प्रचंड' भारत दौरे पर आने वाले हैं, लेकिन दहल के भारत दौरे से ठीक पहले नेपाली सेना ने बड़ा झटका दिया है.


दरअसल, नेपाल की सेना चीन की नोरिन्‍को कंपनी से 6 अरब नेपाली रुपये की 26 हथियारबंद गाड़ियां खरीदने जा रही है. इन हथियारबंद गाड़ियों का प्रयोग नेपाली सेना के जवान विभिन्‍न देशों में शांति मिशनों में करेंगे. इसके अलावा नेपाली सेना नोरिन्‍को कंपनी से 10 हजार सीक्‍यू राइफल भी खरीदने जा रही है. नेपाल की सेना चीन में बनी जिन गाड़‍ियों को खरीद रही है वो भारतीय कंपनी की तुलना में अधिक महंगी हैं.


काठमांडू पोस्‍ट में दावा


नेपाली अखबार काठमांडू पोस्‍ट के अनुसार, नेपाल की सेना ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज किया है. बता दें कि चीन की नोरिन्‍को वही कंपनी है जिसको अमेरिका की सरकार ने ब्‍लैकलिस्‍ट किया हुआ है. नेपाल की सेना को नेपाल आर्मी वेलफेयर फंड के जरिये चीन से 26 हथियारबंद गाड़ियां मिलने वाली हैं और इस डील फैसला खुद तत्‍कालीन प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने किया था. 


'किसी भी हथियार की जरूरत नहीं'


नेपाल सेना के चीफ जनरल प्रभु राम शर्मा ने कहा कि सेना को इस समय किसी भी हथियार की जरूरत नहीं है, मगर सेना को कुछ गाड़ियों की जरूरत पड़ सकती है. उन्‍होंने नेपाली सेना के पास हथियारों का पर्याप्‍त भंडार बताया.


भारत से महंगी चीनी गाड़ियां


काठमांडू पोस्‍ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नेपाल जिन चीनी गाड़‍ियों को खरीद रहा है, उनके दाम भारत की अपेक्षा कहीं अधिक हैं. जहां भारत में एक हथियारबंद वाहन की कीमत 4 करोड़ रुपए है, वहीं उसी चीनी वाहन की कीमत 7.7 करोड़ रुपए है. पीएम प्रचंड ने इस डील के लिए रक्षा मंत्री को तलब करके कहा है कि भारत दौरे से ठीक पहले इस डील को न करें. प्रचंड ने कहा कि देश की आर्थिक हालत ठीक नहीं. यह हथियार खरीदने का सही समय नहीं है.


नेपाल के विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर बुधवार (31 मई) को भारत आ रहे हैं. इस दौरान वह बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए अपने भारतीय समकक्ष पीएम नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं के साथ बातचीत करेंगे.


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