Nepal General Election Result: नेपाल के संसदीय चुनावों के परिणाम सामने आ गया हैं. इन चुनाव में वहां कि कई मंत्रियों और 60 सांसदों सहित कई वरिष्ठ नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा है. तो वहीं इस बार कई युवा नेताओं ने राजनीति के मैदान में बाजी मारी है. 


नेपाल के नेता ने कहा कि संसदीय चुनाव के लिए प्रत्यक्ष मतदान के नतीजे घोषित किया जाना अभी भी शेष है. ऐसे में नेपाल के शीर्ष राजनीतिक दलों ने नई सरकार के गठन की कोशिशें तेज कर दी हैं. प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) और सात प्रांतीय विधानसभाओं के लिए चुनाव इसी माह हुए थे. मतगणना सोमवार को शुरू हुई थी.


किन बड़े नेताओं की हुई हार?
मधेस (तराई) क्षेत्र आधारित दलों के दो वरिष्ठ नेता चुनाव हार गये, जिनमें जनता समाजवादी पार्टी के प्रमुख उपेंद्र यादव और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र महतो शामिल हैं. देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट) :सीपएन-यूएमएल: से चुनाव हारने वालों में पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ईश्वर पोखरेल,उपाध्यक्ष सुरेंद्र पांडे, महासचिव शंकर पोखरेल और उप महासचिव प्रदीप गयावली शामिल हैं.


शिकस्त का सामना करने वाले अन्य शीर्ष नेताओं में सीपीएन माओइस्ट-सेंटर के महासचिव देव गुरुंग, उप महासचिव और ऊर्जा मंत्री पम्पा भुशाल और उप महासचिव गिरिराजमणि पोखरेल शामिल हैं. 


कार्यवाहक सरकार के शीर्ष नेता भी नहीं बचा सके कुर्सी
गृह मंत्री और नेपाली कांग्रेस के नेता बालकृष्ण खांड और मौजूदा सरकार में पर्यटन एवं नागर विमानन मंत्री जीवन राम श्रेष्ठ भी चुनाव हार गये. पूर्व प्रधानमंत्री एवं सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट के वरिष्ठ नेता झालानाथ खनल और पूर्व विदेश मंत्री एवं नेपाली कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सुजाता कोइराला को भी चुनाव में शिकस्त मिली है. कई युवा और नये चेहरे प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गये हैं.


पूर्व टीवी पत्रकार रवि लमीछाने द्वारा महज छह महीने पहले गठित राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने प्रत्यक्ष चुनाव में सात सीट पर जीत दर्ज की और आनुपातिक पद्धति के तहत 10 लाख से अधिक वोट हासिल किये हैं. सत्तारूढ़ गठबंधन ने 85 सीट पर जीत दर्ज की. यह पांच दलों का गठबंधन है. वहीं, सीपीएन-यूएमएल नीत गठजोड़ ने 55 सीट पर जीत दर्ज की.


क्या है नेपाल की संसद की स्थिति?
उल्लेखनीय है कि 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में, 165 सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान से किया जा रहा, जबकि शेष 110 को आनुपातिक प्रणाली से चुना जा रहा. स्पष्ट बहुमत के लिए किसी पार्टी या गठबंधन को 138 सीट की जरूरत होगी.


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