नई दिल्लीः नेपाल को हाल ही में जारी अपना नक्शा एक बार फिर बदलना पड़ सकता है. नेपाल के तीन सांसदों ने संसद में प्रस्ताव पेश कर चीन से लगी सीमा पर कई बॉर्डर पिलर गायब होने और 64 हैक्टेयर नेपाली जमीन के चीनी कब्जे में जाने की शिकायत की है. इतना ही नहीं सीमा के कई इलाकों में सरहद की लकीर को बदल कई गावों को अपनी जमीन में मिलाए जानी की शिकायत करते हुए सांसदों ने सरकार ने इस मामले को उठाने को कहा है.


देवेंद्र राज कंदेल, सत्यरानारयण खनाल और संजय कुमार गौतम ने नेपाली संसद में प्रस्ताव पेश कर सरकार से इस मामले की पूरी जांच कराने और चीन से नेपाली जमीन वापस लेने की मांग की है. बीते दिनों भारत के कुछ हिस्सों को नेपाली भूभाग बताने वाला नक्शा पास करने वाली प्रतिनिधि सभा में ही इन सांसदों ने सरकार से इस बारे में फौरन कूटनीतिक प्रयास शुरु करने का भी आग्रह किया है.


नेपाल की प्रतिनिधि सभा में रखे गए प्रस्ताव के मुताबिक दोल्खा, हुमला, सिंधुपालचौक, संखुवासभा, गोरखा और रसुआ आदि जिलों की जमीन चीन के कब्जे में चली गई हैं. सदन में नियम 84 के तहत रखे गए इस प्रस्ताव में कहा गया है कि नेपाल और चीन के बीच सीमा पर मौजूद 98 पिलर में से कई गायब हैं.


नेपाल के नए और विवादित नक्शे के मुताबिक चीन के साथ उसकी करीब 1414.88 किमी लंबी सीमा है. नेपाली संसद में चीन की जमीन चोरी की शिकायत उठाते हुए तीनों सांसदों ने कहा कि सरहद पर गोरखा स्थित पिलर संख्या 35, 37 और 38 गायब हैं. वहीं नम्पा, सोलुखुम्बू, भंजयांग का पिलर नंबर 62 भी नदारद है. उत्तरी गोरखा के रुई गांव के 72 घर अब चीन में पहुंच गए हैं. साथ ही धारचुला जिले के जियुजियु इलाके के 18 घर भी अब चीन का हिस्सा बना लिए गए हैं.


महत्वपूर्ण है कि बीते दिनों नेपाल के कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट में भी इस बात का खुलासा किया गया था कि 30 हैक्टेयर से अधिक नेपाली जमीन को चीन हड़प चुका है. स्थानीय मीडिया में आई खबरों ने नेपाल कृषि मंत्रालय के सर्वे विभाग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि हुमला इलाके में करनाली और बागडेर खोला नदियों की धारा बदलते हुए चीन ने 10 हैक्टेयर जमीन का अतिक्रमण कर लिया है.


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