नेपाल के नए प्रधानमंत्री ने ली पांचवीं बार शपथ, जानें क्या-क्या हैं PM शेर बहादुर देउबा के सामने चुनौतियां
पश्चिमी नेपाल के दादेलधुरा जिले के एक सुदूर गांव में 13 जून, 1946 को जन्मे देउबा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र नेता के रूप में की थी.
उच्चतम न्यायालय के दखल के बाद नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा मंगलवार को आधिकारिक तौर पर पांचवीं बार देश के प्रधानमंत्री बने. उनके नियुक्त पत्र को लेकर विवाद पैदा हो गया था, जिस वजह से शपथ ग्रहण समारोह दो घंटे देरी से आयोजित हुआ. यहां राष्ट्रपति दफ्तर शीतल निवास में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 75 वर्षीय वरिष्ठ राजनीतिक नेता को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.
नियुक्ति पत्र को लेकर हुए विवाद की वजह से शपथ ग्रहण समारोह रात करीब सवा आठ बजे आयोजित हुआ जिसे शुरू में शाम छह बजे (भारतीय समयानुसार पौने छह बजे) आयोजित होना था. नेपाली कांग्रेस ने राष्ट्रपति के दफ्तर के उस बयान पर आपत्ति जताई जिसमें उस संवैधानिक प्रावधान का उल्लेख नहीं था जिसके तहत देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है.
नेपाल में स्थिरता लाना और विश्वासमत हासिल करना
नेपाल के रिकॉर्ड पांचवीं बार प्रधानमंत्री बने शेर बहादुर देउबा का तात्कालिक कार्य देश में राजनीतिक संकट को समाप्त कर स्थिरता लाना है. संवैधानिक प्रावधान के तहत प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्ति के बाद 75 वर्षीय देउबा को 30 दिनों के अंदर सदन में विश्वास मत हासिल करना होगा. इससे पूर्व देउबा चार बार- पहली बार सितंबर 1995- मार्च 1997, दूसरी बार जुलाई 2001- अक्टूबर 2002, तीसरी बार जून 2004- फरवरी 2005 और चौथी बार जून 2017- फरवरी 2018 तक प्रधानमंत्री रह चुके हैं.
जून 2017 में पद भार ग्रहण करने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा में, देउबा ने अगस्त 2017 में भारत का दौरा किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी. देउबा इससे पहले 1996, 2004 और 2005 में प्रधानमंत्री के रूप में भारत के तीन दौरे कर चुके हैं.
छात्र नेता के रूप में करियर की शुरुआत
पश्चिमी नेपाल के दादेलधुरा जिले के एक सुदूर गांव में 13 जून, 1946 को जन्मे देउबा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र नेता के रूप में की थी. वह 1971 से 1980 तक नेपाली कांग्रेस की छात्र राजनीतिक शाखा, नेपाल छात्र संघ के संस्थापक सदस्य और अध्यक्ष थे.
देउबा 1991 से नवंबर 1994 तक दादेलधुरा जिले से संसद सदस्य चुने गए. उन्होंने दिसंबर 1991 से सितंबर 1994 तक गिरिजा प्रसाद कोइराला के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस सरकार में गृह मंत्री के रूप में कार्य किया था. साल 1994 में मध्यावधि चुनाव के बाद उन्हें नेपाली कांग्रेस के संसदीय दल का नेता चुना गया.
देउबा को पहली बार 1995 में प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था और उन्होंने गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था. हालांकि, मार्च 1997 में उनकी सरकार गिर गई थी. पार्टी के भीतर सत्ता संघर्ष के बाद, देउबा ने एक अलग नेपाली कांग्रेस डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया और सितंबर 2002 से जनवरी 2006 तक इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.
मई 2006 में, उन्हें सर्वसम्मति से नेपाली कांग्रेस डेमोक्रेटिक का फिर से अध्यक्ष चुना गया. हालांकि, देउबा ने अपनी अलग पार्टी को भंग कर दिया और सितंबर 2007 में नेपाली कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए. उन्हें सात मार्च 2016 को नेपाली कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था. उन्होंने कानून में स्नातक और राजनीति विज्ञान में परास्नातक किया है. उन्हें लोकतंत्र को मजबूत करने में उनके योगदान के लिए नवंबर 2016 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था. उन्होंने आरजू राणा से शादी की है और एक बेटे के पिता हैं.
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