Nepal Pashupatinath Temple: नेपाल के काठमांडू स्थित प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर, जहां हजारों श्रद्धालु रोज माथा टेकने आते हैं लेकिन 25 जून की दोपहर को वहां पहुंचे भक्त मंदिर का द्वार बंद देखकर हैरान रह गए. मंदिर में अफरातफरी का महौल था, नेपाल आर्मी (Nepali Army), पुलिस (Nepal Police) और आर्मड पुलिस फोर्स के जवान लोगों को मंदिर से बाहर निकाल रहे थे.


असल में बात यह है कि पशुपतिनाथ मंदिर से भागवान भोलेनाथ को अर्पण किए गए सोने में से 10 किलो सोना चोरी हो गया है. जिसके बाद जांच एजेंसी सीआईएए ने 25 जून को इसकी जांच शुरू की जिसके लिए मंदिर को बंद कर दिया गया. ताकि नेपाल में करप्शन की जांच करने वाली एजेंसी CIAA मंदिर में प्रवेश कर सकें. उन लोगों के साथ सोना और चांदी विक्रेता संघ और खान और भूविज्ञान डिपार्टमेंट के लोग भी थे.


क्या सोना चोरी हुआ या...
कहा जाता है कि 2021 में पशुपतिनाथ मंदिर में जलहरी के रूप में भगवान भोलेनाथ को 108 किलो सोना चढ़ाया गया था जिसमें से 10 किलो सोना गायब है. वहीं भगवान को अर्पण किया गया 108 किलो सोने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. जिसे आगे हम जानने की कोशिश करेंगे और साथ ही कि पशुपतिनाथ मंदिर का 10 किलो सोना आखिर कहां गया. सवाल उठता है कि क्या सोना चोरी हुआ या वो 10 किलो सोना मंदिर में पहुंचा ही नहीं था. 


सबसे पहले सवाल है सोना चोरी होने की. यह चोरी का मामला नेपाल की संसद से शुरू हुआ जहां भगवान भोलेनाथ को चढ़ाए गए 108 किलोग्राम के जलहरी आभूषण में से 10 किलो सोना चोरी होने का मामला उठाया गया. जिसके बाद पूरे नेपाल में इस मामले ने तूल पकड़ लिया और सरकार ने इसकी जांच करप्शन की जांच करे वाली एजेंसी CIAA को सौंप दिया. इसी सिलसिले में सीआईएए और बाकी एजेंसियों के लोग 25 जून को मंदिर पहुंचे थे. सोने का वेट और उसकी गुणवत्ता चेक करने के लिए जांच एजेंसियां सोने की जलहरी को अपने साथ ले गई. हालांकि इसकी रिपोर्ट आनी बाकी है. 


जलहरी की पूरी कहानी
हालांकि इस सबके बाद अब सवाल ये उठता है कि क्या वाकई सोना चोरी हुआ है या मंदिर पहुंचने से पहले ही इस सोने को गायब कर दिया गया. द हिमालयन टाईम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक 25 जनवरी 2021 को नेपाल के पीएम के पी शर्मा ओली ने पशुपतिनाथ मंदिर में मौजूद शिवलिंग पर सोने की जलहरी लगाने के लिए 30 करोड़ रुपए सेंक्शन किए थे. संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय की ओर से ये पैसा कुछ ही दिनों में मंदिर को सेंक्शन कर दिया गया जिसके बाद सोने की जलहरी बनाने का काम शुरू हो गया. 


सोने की जलहरी शिवलिंग पर चढ़ाई जाती, इससे पहले ही नरोत्तम बैध्य और वकील निकिता ढुंगाना ने इतना सोना मंदिर में चढ़ाए जाने के खिलाफ नेपाल की सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी लेकिन 24 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही नेपाल के पूर्व राष्ट्रपति बिध्या देवी भंडारी ने आनफानन में अधूरी बनी जलहरी को ही शिवलिंग पर अर्पण कर दिया. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसी दिन जलहरी की इंस्टॉलेशन पर रोक लगा दी. 


अब क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आने से पहले अधूरी जलहरी को भोलेनाथ को अर्पण किया गया था तो जो शिवलिंग के नीचे 10 किलो के सोने का एक बेस लगाया जाना था वो काम अधूरा ही रह गया. अब क्योंकि ये जलहरी नटबोल्ट और कीलों की मदद से इस्टॉल की गई थी तो भक्तों ने इस सोने के चढ़ावे में गबन होने की बात उठानी शुरू कर दी.


पशुपति क्षेत्र विकास ट्रस्ट के सचिव ने कही ये बात
रिपोर्ट्स की मानें तो 2021 में भी 108 किलो सोने में गबन की बात सामने आई थी और CIAA ने ही इसकी जांच शुरू की थी. लेकिन तब बिना किसी परिणाम पर पहुंचे ही इस जांच को बंद कर दिया गया था. लेकिन अब फिर से ये जांचा शुरू हो गई है और इस बार लोगों के सामने ये राज खुलने की उम्मीद की जा रही है कि 10 किलो सोना आखिर गया कहां और जो सोना मंदिर में चढ़ाया गया है वो असली है भी या मिलावटी है. 


हालांकि पशुपति क्षेत्र विकास ट्रस्ट के सचिव मिलन कुमार थापा मंदिर से सोना गायब होने की बात से साफ इंकार कर रहे हैं. अब सोना चोरी हुआ है या सोने का गबन हुआ है इसका पता तो CIAA की जांच रिपोर्ट के बाद ही लग सकता है.


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