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Pushpa Kamal Dahal: एक टीचर जो 'चीन के करीबी' माने जाते हैं, तीसरी बार संभालेंगे PM का पद, जानिए कौन हैं पुष्प कमल दहल प्रचंड

Pushpa Kamal Dahal:

Pushpa Kamal Dahal: भारत के सबसे करीब पड़ोसी देशों में से एक नेपाल (Nepal) में 13 वे प्रधानमंत्री के ताजपोशी की तैयारी चल रही है. आज सोमवार (26 दिसंबर) को पुष्प कमल 'प्रचंड' अपने जीवन में तीसरी बार पीएम बनेंगे. अभी जो नेपाल में सरकार बनने जा रही है, वो कई मानने में 'जुगाड़ु' सरकार है. इस बार 6 दलों के आपसी गठबंधन के बाद ही पुष्प कमल 'प्रचंड' को पीएम बनने का मौका मिला है. 

नेपाल के 6 दलों के आपसी गठबंधन वाली सरकार में कमल दहल (Kamal Dahal) प्रचंड को 169 सदस्यों का समर्थन मिला हुआ है. अगर इसमें शामिल पार्टियों के बारे में बात किया जाए तो सीपीएन-यूएमएल के 78, माओवादी केंद्र के 32, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के 14, जनता समाजवादी पार्टी के 12, जनमत पार्टी के 6, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के चार सांसद और तीन निर्दलीय विधायक पुष्पा के समर्थन में हैं. आइए जानते हैं कौन हैं पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' जो तीसरी बार संभालेंगे नेपाल की कमान

हिन्दू राजशाही का विरोध किया
कमल दहल प्रचंड का जन्म 11 दिसंबर 1954 को पोखरा के पास कास्की जिले के धिकुरपोखरी में हुआ था.  पूरी तरह से राजनीति में आने से पहले कमल दहल नें 13 सालों तक पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर काम किया. वे नेपाल के कुछ गिने-चुने नेताओं में शुमार हैं, जो लगातार 32 सालों से पार्टी के उच्च पद को संभाल रहे हैं. नेपाल में 10 सालों तक कमल दहल प्रचंड ने हिंदू राजशाही का विरोध किया था. उन्होंने साल 1996 से लेकर 2006 तक सशस्त्र संघर्ष को लीड किया. इस दौरान वो 10 सालों के लिए अंडरग्राउंड रहे, जिसमें 8 साल भारत में बिताए. हालांकि प्रचंड के नेतृत्व वाले अभियान को आखिरकार सफलता मिली और अंततः नेपाल की 237 साल पुरानी राजशाही को समाप्त करने के अपने लक्ष्य में वो सफल रह्. ये सारी चीजें नवंबर 2006 में एक व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद खत्म हुआ. 

1980 में अखिल नेपाल राष्ट्रीय मुक्त छात्र संघ का किया नेतृत्व
कमल दहल प्रचंड को साल 1980 में अखिल नेपाल राष्ट्रीय मुक्त छात्र संघ का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया. फिर साल 1983 में सीपीएन की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए, जो जल्द ही विभाजित हो गई. पोलित ब्यूरो के सदस्य बनने के बाद साल 1989 में महासचिव के पद पर भी आसीन हुए. प्रचंड ने 1995 में माओवादी झुकाव को दिखाने के लिए अपनी शाखा का नाम बदलकर नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी कर दी. हालांकि, पुष्प कमल दहल राजनीति में आने से पहले तक एक टीचर थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1972 में, उन्होंने चितवन के शिवनगर के एक स्कूल में पढ़ाया. फिर 1976 से 1978 तक नवलपरासी के डंडा हायर सेकेंडरी स्कूल और गोरखा के भीमोडाया हायर सेकेंडरी स्कूल में भी पढ़ाया.

पीएम के रूप में कार्यकाल
प्रचंड ने लगभग पूरा करियर अंडरग्राउंड होकर बिताया था. वो शुरुआत में नेपाल की जनता के लिए राजनीति का पसंदीदा चेहरा नहीं थे. जनता उन्हें संदेह की दृष्टि से देखती थी. वह नेपाल में साल 2006 जून में तत्कालीन पीएम गिरिजा प्रसाद कोइराला और विपक्षी नेताओं के साथ देश की नई सरकार के निर्माण पर बातचीत करने के लिए एक बैठक में शामिल हुए, जिसके बाद उनकी देश में लोकप्रियता बढ़ गई. नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने से सीपीएन ने प्रचंड को नई सरकार के प्रमुख के रूप में स्थापित करने के लिए काम किया. अगले दो साल के बाद प्रचंड के नेतृत्व में, सीपीएन ने 10 अप्रैल, 2008 के चुनावों में 220 सीटें जीतीं और 601 सदस्यीय संविधान सभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई और राजशाही समाप्त होने के बाद 15 अगस्त को पहली बार पीएम चुने गए. लेकिन अगले सिर्फ एक साल 2009 तक ही पीएम रहे. पहली बार पीएम बनने के ठीक 8 साल बाद 2016 अगस्त में  संविधान सभा की ओर से फिर उन्हें पीएम चुना गया. इस बार भी वो मात्र 1 साल तक के लिए पीएम रहे और मई 2017 में पीएम पद छोड़ना पड़ा, जिसके बाद नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा ने उनकी जगह ली. अब वो तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेंगे.

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