Nepal Political Crisis: नेपाल का विपक्षी गठबंधन नयी सरकार बनाने का पेश करेगा दावा
राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा गुरूवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार नयी सरकार बनाने का रास्ता साफ करने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री ओली को लगता है कि हालात 10 मई की परिस्थिति से अलग नहीं हैं, जब 69 वर्षीय नेता प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हार गये थे.
नेपाल में राजनीतिक संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. नेपाल में एक बार फिर से विपक्षी गठबंधन नई सरकार बनाने का दावा पेश करेगा. शुक्रवार को ऐसा मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है. इससे पहले, नेपाल के विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को पद से हटाने और मौजूदा राजनीतिक संकट को सुलझाने के लिए आगे की रणनीति तय करने के लिहाज से शुक्रवार को बैठक की. ओली ने संसद में अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए एक और बार शक्ति परीक्षण से गुजरने में अनिच्छा व्यक्त की है.
एक दिन पहले ही नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने देश के राजनीतिक दलों से नयी सरकार बनाने का दावा पेश करने को कहा था. राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर राजनीतिक दलों के नयी सरकार बनाने के लिए शुक्रवार शाम 5 बजे तक की समय-सीमा तय की है. राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा गुरूवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार सरकार ने नयी सरकार बनाने का रास्ता साफ करने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री ओली को लगता है कि हालात 10 मई की परिस्थिति से अलग नहीं हैं, जब 69 वर्षीय नेता प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हार गये थे.
ओली को प्रधानमंत्री बने रहने के लिए 30 दिन के अंदर बहुमत साबित करना है. नेपाली कांग्रेस (एनसी) के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के आवास पर विपक्षी गठबंधन की बैठक चल रही है. नेपाली कांग्रेस (एनसी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) और जनता समाजवादी पार्टी के उपेंद्र यादव नीत धड़े के शीर्ष नेता बैठक में भाग ले रहे हैं.
सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल के वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल भी बैठक में शामिल होने के लिए देउबा के घर पहुंचे. ‘माईरिपब्लिका डॉट कॉम’ के अनुसार एनसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वे प्रधानमंत्री ओली को पद से हटाने के सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं क्योंकि वह संवैधानिक नियमों का उल्लंघन करने में शामिल रहे हैं. वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति भंडारी भी प्रधानमंत्री ओली के सभी असंवैधानिक कदमों का समर्थन कर रही हैं.’’ उन्होंने कहा कि इस बारे में विचार चल रहा है कि क्या राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव दाखिल किया जाना चाहिए.
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