टूट की ओर बढ़ी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी, प्रचंड गुट ने पीएम केपी शर्मा ओली को अध्यक्ष पद से हटाया
सत्तारूढ़ दल इसके गठन के करीब दो साल बाद टूट की तरफ बढ़ रहा है. मई 2018 में ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल और प्रचंड के नेतृत्व वाले सीपीएन (माओवादी) का विलय हुआ था. ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘‘प्रचंड’’ के खेमों के बीच सत्ता के लिए लंबे समय से संघर्ष चल रहा है.
काठमांडू: नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी टूट की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है. मंगलवार को पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के अगुवाई वाले खेमे ने केंद्रीय समिति की बैठक के बाद प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष पद से हटाने का एलान किया. इसके साथ ही उनपर पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोप में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की घोषणा की.
प्रचंड की अगुवाई वाले खेमे ने भी काठमांडू में अलग से केंद्रीय समिति की बैठक की. प्रचंड नीत खेमे ने पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल को सर्वसम्मति से पार्टी का दूसरा अध्यक्ष नियुक्त किया. इस बैठक में माधव कुमार नेपाल एवं झालानाथ खनल के अलावा पूर्व कृषि मंत्री घनश्याम भुशाल समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. बैठक में पार्टी की केंद्रीय समिति के करीब दो-तिहाई सदस्य मौजूद रहे.
दूसरी तरफ ओली की तरफ से संगठन पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए मंगलवार को पार्टी की आम सभा के आयोजन के लिए 1199 सदस्यीय नई समिति का गठन किया था. सत्तारूढ़ दल के दो प्रमुखों में से एक ओली ने अपने आधिकारिक आवास पर पार्टी की केंद्रीय समिति के अपने करीबी सदस्यों के साथ बैठक के दौरान नई समिति की घोषणा की.
ओली खेमे की बैठक में नारायण काजी श्रेष्ठ को पार्टी प्रवक्ता के पद से हटाने का भी निर्णय लिया गया. केंद्रीय समिति के सदस्य बिनोद श्रेष्ठ ने कहा कि स्थायी समिति के सदस्य एवं विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली को पार्टी का नया प्रवक्ता नियुक्त किया गया है.
ओली ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को आश्चर्यचकित करते हुए रविवार को राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफारिश कर दी और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई. ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘‘प्रचंड’’ के खेमों के बीच सत्ता के लिए लंबे समय से चल रहे संघर्ष के बीच यह कदम उठाया गया.
सत्तारूढ़ दल एनसीपी इसके गठन के करीब दो साल बाद टूट की तरफ बढ़ रहा है. मई 2018 में ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल और प्रचंड के नेतृत्व वाले सीपीएन (माओवादी) का विलय हुआ था. दोनों ही खेमों ने पार्टी की मान्यता एवं चुनाव चिन्ह को अपने पास रखने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. ओली के नेतृत्व वाले खेमे ने मंगलवार को चुनाव आयोग में आवेदन दायर कर कहा कि उनकी पार्टी को आधिकारिक मंजूरी मिलनी चाहिए.
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