(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Nepal News: नेपाल के पीएम प्रचंड पर चढ़ा शिव की भक्ति का रंग, महाकाल के बाद अब पहुंचे कैलाश मानसरोवर, जानिए क्या है असली वजह
Nepali PM: पुष्प कमल दहल प्रचंड धीरे-धीरे अपनी छवि कट्टर हिंदू नेता के रूप में बनाते जा रहे हैं. पर एक समय ऐसा भी था जब माओवादी आंदोलन के दौरान वह हिंदू धर्म और हिंदू राजा का खूब विरोध किया करते थे.
Nepal Prime Minister China Visit: वामपंथी राजनीति से नेपाल के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे पुष्प कमल दहल प्रचंड का नया रूप देखने को मिल रहा है. पिछले कुछ साल में उनके इस रूप को देखकर लोग हैरान हैं. दरअसल, पिछले कुछ साल में प्रचंड का धर्म की तरफ ज्यादा झुकाव देखने को मिल रहा है.
कभी कट्टर कम्युनिस्ट नेता के रूप में पहचाने जाने वाले प्रचंड का यह भक्ति रूप देखकर अधिकतर लोग दंग हो रहे हैं. चीन के शीर्ष नेताओं से मुलाकात के बाद प्रचंड अब कैलाश मानसरोवर के दर्शन करने निकल पड़े हैं. वह तिब्बत के रास्ते कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने जा रहे हैं.
भारत दौरे पर किए थे उज्जैन महाकाल के दर्शन
बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब उनकी शिव में भक्ति दिखाई देती हो. इससे पहले वह अपने भारत दौरे पर महाकाल के दर्शन करने उज्जैन पहुंचे थे. अपने देश में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के भी दर्शन वह कर चुके हैं. इसके अलावा कई और मंदिरों में वह जाते हैं.
कभी हिंदू धर्म का करते थे विरोध
प्रचंड का यह चेहरा लोगों को इसलिए हैरान कर रहा है क्योंकि ये वही प्रचंड हैं जिनकी पार्टी ने माओवादी आंदोलन के दौरान हिंदू राजा का खूब विरोध किया था. इन पर कई मंदिरों को नष्ट करने का भी आरोप तब लगता था. पर अब प्रचंड इसके विपरित चल रहे हैं. वह महाकाल, पशुपतिनाथ के अलावा कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी कर रहे हैं. कुछ राजनीतिक जानकार बताते हैं कि इसके पीछे प्रचंड की सोची समझी मंशा है. वह अपनी छवि कट्टर हिंदू के रूप में बनाना चाहते हैं.
'करना चाहते हैं मोदी और भारत को खुश'
नेपाली राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रचंड इस मामले में भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को फॉलो करते दिख रहे हैं. वह हिंदू छवि से नेपाल के बहुसंख्यक हिंदू वोट को टारगेट कर रहे हैं. इसके अलावा वह ऐसा करके मोदी और बीजेपी सरकार को भी दिखाना चाहते हैं कि वह भारत के साथ हैं. इसके बदले में उन्हें भारत से भी फायदा मिलेगा. दरअसल, माओवादी हिंसा में 17 हजार लोग मारे गए थे. प्रचंड और उनके गुरिल्ला साथियों पर अब मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच चल रही है. अगर दोष साबित होता है तो प्रचंड और उनके साथियों को सजा भी मिल सकती है. इस सजा से बचने में संयुक्त राष्ट्र में भारत उसकी मदद कर सकता है. यही वजह है कि वह भारत के साथ संबंध अच्छे कर रहे हैं और अपनी छवि भी हिंदू नेता के रूप में बना रहे हैं.
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