नेपाल में पीएम केपी ओली के नेतृत्व वाली सरकार ने मंत्रिमंडल को भंग करने की सिफारिश की है. इसके साथ ही, ओली ने चुनाव की तैयारी करने का देशवासियों से आह्वान किया है. इस बीच, अब सबकी नजर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है. इधर, नेपाली कांग्रेस चीफ शेर बहादुर देउबा और केपी ओली के बीच डील ट्रैक पर आती हुई दिख रही है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के उप-मंत्री के नेपाल से खाली हाथ लौटने के बाद पीएम केपी ओली अब चीन को एक और झटका देने की तैयारी मे हैं.
ऐसे माना जा रहा है कि अगर प्रधानमंत्री के संसद भंग करने के फैसले को अगर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से खारिज किया जाता है तो केपी ओली देउबा की नेतृत्व में नई सरकार बना पुष्प कमल दहल प्रचंड को झटका दे सकते हैं.
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े महिला संगठन की एक नेता ने बताया कि ओली ने नेपाली कांग्रेस के साथ गठजोड़ का स्पष्ट संकेत दिया है. नेपाली कांग्रेस परंपरागत तौर पर भारत समर्थक पार्टी मानी जाती रही है जबकि चीन ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में एकता बरकरार रखने पर जोर दिया था. ओली ने महिला संगठन का एक ज्ञापन स्वीकार करते समय कहा था कि संसद के बहाल होने की संभावना न के बराबर है. उन्होंने महिला नेताओं से कहा कि वे चुनाव की तैयारी करें.
ओली ने कहा, 'हम चुनाव होने तक नेपाली कांग्रेस के साथ मिलकर बारी-बारी से मिलकर सरकार बनाएंगे.' इस दौरान पीएम ओली ने जोर देकर कहा कि संसद की बहाली असंभव है लेकिन उन्होंने अपने भविष्य का रुख स्पष्ट कर दिया. ओली के संसद के बहाल न होने और नेपाली कांग्रेस के विपक्ष के संयुक्त विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होने से यह संदेह गहराता जा रहा है कि दोनों साथ आ रहे हैं. हालांकि नेपाली कांग्रेस का एक धड़ा राम चंद्र पौडेल के नेतृत्व में पार्टी अध्यक्ष देउबा की खुलेआम आलोचना कर चुका है. पौडेल का कहना है कि देउबा उस मजबूती के साथ ओली के कदम का विरोध नहीं कर रहे हैं जितना करना चाहिए.
गौरतलब है कि अगर सुप्रीम कोर्ट नेपाल की संसद को बहाल करती है तो देउबा प्रधानमंत्री बन सकते हैं. वहीं अगर चुनाव होता है तो नेपाली कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव स्थगित हो सकता है. नेपाली कांग्रेस को उम्मीद है कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के औपचारिक रूप से अलग होने पर इस बात की पूरी संभावना है कि पार्टी सत्ता में आ सकती है. नेपाली कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक जब से नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में संकट बढ़ा है तब से ओली और देउबा की मुलाकात बढ़ गई है.
चीन की तरफ झुकाव रखने वाले प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड के साथ सत्ता को लेकर रस्साकशी के बीच 20 दिसंबर को 275 सदस्यीय संसद को भंग करने की सिफारिश कर दी थी. ओली की सिफारिश पर कदम उठाते हुए राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने उसी दिन संसद को भंग कर दिया और 30 अप्रैल और 10 मई को देश में आम चुनाव कराने की घोषणा की. इस फैसले का प्रचंड के खेमे समेत कई दलों ने विरोध किया.