संकट के मौजूदा दौर से गुजर रहे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अब भारत की याद आई है. उन्होंने कहा कि भारत के साथ सारी गलतफहमियों को अब सुलझा लिया गया है और दोनों देशों को भविष्य की तरफ आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि पड़ोसियों के साथ प्यार और समस्याएं दोनों साझा की जाती हैं.


हाल ही में बीबीसी हिन्दी सर्विसेज को दिए इंटव्यू में पीएम केपी ओली ने इस बात को माना कि दोनों पड़ोसियों के बीच गलतफहमियां हो गई थीं. हालांकि, उन्होंने इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा नहीं की. ओली ने पिछले महीने एक टेलीविजन संबधोन के वक्त कहा था कि भारत के साथ सीमा विवाद को कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से ऐतिहासिक समझौतों, नक्शे और तथ्यात्मक मसौदों के आधार पर सुलझा लिया जाएगा.


उन्होंने बीबीसी से कहा- “हां, एक समय में गलतफहमियां थीं. लेकिन अब वो सारी गलतफहमियां दूर हो गई हैं. हमें अतीत की गहलतफहमियों को पर रूका नहीं रहना चाहिए बल्कि भविष्य को ओर बढ़ना चाहिए.” अल्पसंख्यक सरकार का नेतृत्व कर रहे 69 वर्षीय ओली ने कहा कि “हमें सकारात्मक संबंध बनाए रखना है.”


नेपाल में विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री केपी ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की तरफ से सरकार को भंग करने और लोकसभा चुनाव कराने को संवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है. ओली ने कहा कि नेपाल के साथ भारत के रिश्ते बेतहरीन रहे हैं, और ऐसा दूसरे देशों के साथ नहीं रहा है.


गौरतलब है कि नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने अल्पमत सरकार की अगुवाई कर रहे प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की सलाह पर 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को पांच महीनों में दूसरी बार 22 मई को भंग कर दिया था और 12 तथा 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी.


भंग किए गए सदन के करीब 146 सदस्यों ने भी सदन की बहाली के अनुरोध के साथ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है. इनमें नेपाल कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा भी शामिल हैं, जिन्होंने संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के तहत नयी सरकार के गठन का दावा भी पेश किया था. राष्ट्रपति भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली और विपक्षी गठबंधन दोनों के सरकार बनाने के दावे को खारिज करते हुए कहा था कि “दावे अपर्याप्त” हैं.


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