नई दिल्ली: नेपाल के साथ सीमा विवाद पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बीच वार-पलटवार शुरू हो गया है. ओली ने योगी आदित्यनाथ के बयान को अपमान करार दिया है. नेपाल के प्रधानमंत्री ने योगी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका बयान निंदनीय है. हाल ही में योगी ने नेपाल को चेतावनी देत हुए कहा था कि नेपाल को वह गलती नहीं दोहरानी चाहिए जो तिब्बत ने की थी. अपने देश की सीमाएं तय करने से पहले उसे नतीजों के बारे में भी सोच लेना चाहिए.
नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने कहा कि यह नेपाल की संप्रभुता को कम करने की कोशिश है.
योगी ने कहा था कि भारत और नेपाल भले ही दो देश हों मगर नेपाल को यह याद रखना चाहिए कि दोनों की आत्मा एक ही है. दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को सीमा के बंधन में नहीं बांधा जा सकता. अब नेपाल के प्रधानमंत्री की योगी के इसी बयान पर प्रतिक्रिया दी है.
केपी.शर्मा ओली ने बुधवार को नेपाली संसद के निचले सदन में कहा कि भारत ने "नकली" काली नदी को पेश करके देश के क्षेत्र पर दावा किया था और वहां अपनी सेना तैनात की थी. काली नदी भारत-नेपाल सीमा को परिभाषित करती है. उन्होंने कहा कि नेपाल कालापानी, लिपुलेख और लिंपिया धूरा को फिर से प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित है, उन्होंने दावा किया कि भारत द्वारा अतिक्रमण किया गया था और नक्शों में इसका आंकड़ा है. उन्होंने कहा कि पूरा देश इस मुद्दे पर एक है.
ओली ने कहा कि भारत, सीमा पर बांधों का निर्माण कर रहा है जिसके परिणामस्वरूप नेपाल के कई क्षेत्रों का जलमग्न हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि आप कानून के अनुसार और एक अच्छे पड़ोसी के रूप में आप ऐसा नहीं कर सकते. उन्होंने काह कि हमने कई बार भारत को इस मुद्दे पर चेतावनी दी है, और हम इस तरह के किसी भी अन्यायपूर्ण व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेंगे.
काली नदी के तीन उदगम स्थल पर विवाद
दरअसल, जिस काली नदी को सरहद बनाया गया उसे लेकर विवाद नहीं है, विवाद उसके तीन उदगम स्थलों से उपजा है. काली नदी जो मैदानी इलाकों में आकर शारदा के नाम से जानी जाती है उसके तीन उदगम स्थल है. काला पानी, लिंपिया धूरा और लिपुलेक. तीनों स्थानों से जो जल धाराएं निकली, इन तीनों के संगम स्थल से काली नदी का उदय होता है. नेपाल का दावा है कि लिंपिया धूरा और कालापानी उसका है लेकिन उस संधि में ऐसा कुछ नहीं है. ये सारे विवाद तब से ज़्यादा शुरू हुए जब पुष्प दहल कमल "प्रचंड" नेपाल के प्रधानमंत्री बने. उन्होंने तो नेपाल का एक नया नक्शा पेश किया और उत्तराखंड को नेपाल का हिस्सा दिखा दिया. उस समय काफी विवाद हुआ.