नई दिल्ली: नेपाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को नेपाल की सर्वोच्च अदालत से बड़ा झटा लगा है. नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने पीएम केपी शर्मा ओली के फैसले को पलटते हुए नेपाली संसद को फिर से बहाल करने का आदेश दिया है. केपी ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति बिद्या देब भंडारी ने पिछले साल 20 दिसंबर को नेपाली संसद भंग कर दी थी. अब चीफ जस्टिस चोलेंद्र शमशेर जेबीआर के नेतृत्व में पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने संसद बहाल करने का आदेश देते हुए कहा कि सरकार 13 दिनों के अंदर संसद का सत्र बुलाए.


आपको बता दें कि प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति ने नेपाल की संसद को भंग कर किया था. नेपाल की प्रतिनिधि सभा में 275 सदस्य होते हैं. इसके साथ ही पीएम ओली ने अप्रैल-मई चुनाव कराने का भी एलान किया था. ओली के इस कदम के बाद पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाले नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी ने ओली के खिलाफ प्रदर्शन किया. पार्टी की सेंट्रल कमेटी की बैठक के में केपी ओली को नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी से निकालने का फैसला लिया गया.


13 रिट याचिकाएं की गई थीं दाखिल
नेपाल की प्रतिनिधि सभा को भंग करने के केपी शर्मा ओली के फैसले के खिलाफ नेपाली सुप्रीम कोर्ट में 13 रिट याचिकाएं लगाई गई थीं. याचिका दायर करने वालों में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्य सचेतक देव प्रसाद गुरुंग के अलावा कई और लोग भी शामिल थे. सदन को फिर से बहाल करने की मांग के साथ दायर इन याचिकाओं पर अब कोर्ट ने ओली को बड़ा झटका देते हुए निचली सदन को बहाल करने का आदेश दे दिया है.


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