काली नदी पर भारत द्वारा बनाए जा रहे तटबंध पर नेपाली संगठनों को आपत्ति
नेपाल विद्यार्थी संघ के अध्यक्ष रमेश भटट ने कहा कि हमने सरकार को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या घाटखोला में तटबंध का निर्माण करने में भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन किया जा रहा है.
नेपाली संगठनों ने काली नदी पर भारत द्वारा बनाए जा रहे तटबंध पर आपत्ति प्रकट की है. नेपाल दलित संघ, नेपाल तरूण दल और नेपाल विद्यार्थी संघ जैसे नेपाली संगठनों ने भारत पर काली नदी के बहाव को नेपाल की ओर मोडने तथा 10 मीटर नेपाली जमीन को अतिक्रमित करते हुए तटबंध बनाने का आरोप लगाया है .
उन्होंने इस संबंध में दारचुला जिला प्रशासन के माध्यम से नेपाल सरकार में शिकायत भी दर्ज कराई है. नेपाल का दारचुला जिला भारत के सीमांत पिथौरागढ जिले के धारचूला से सटा हुआ है. नेपाल विद्यार्थी संघ के अध्यक्ष रमेश भटट ने कहा, ‘‘हमने सरकार को एक पत्र लिखकर इस बात की जांच का निवेदन किया है कि क्या घाटखोला में नदी का बहाव परिवर्तित करके तटबंध का निर्माण करने में भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन किया जा रहा है .’’
इस बीच, रविवार को नेपाली युवाओं के एक समूह ने घाटखोला में तटबंध के निर्माण में लगे भारतीय मजदूरों पर पत्थर भी फेंके. हांलांकि, इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ. धारचूला के उपजिलाधिकारी ए के शुक्ला ने बताया कि प्रदर्शनकारी बाद में मौके से फरार हो गए. उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस (निर्माण) काम को जारी रखा हुआ है क्योंकि हमें इसे मानसून से पहले पूरा करना है .’’
सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शनकारी युवा नेपाल के बंगाबगड गांव के रहने वाले हैं . नेपाली संगठनों की आशंकाओं पर टिप्पणी करते हुए शुक्ला ने कहा कि नदी के बीच में मलबा इकटठा होने से उसका बहाव नेपाल की तरफ हो गया होगा. हालांकि, धारचूला की ‘रं’ कल्याण संस्था ने कहा कि भारत अपनी भूमि पर तटबंध बना रहा है और इससे हिमालयी राष्ट्र को परेशान नहीं होना चाहिए.
उन्होंने पूछा कि जब वे नेपाल अपनी तरफ तटबंध का निर्माण कर रहे थे हमने तो कोई आपत्ति नहीं की लेकिन जब हम अपनी ओर तटबंध बना रहे हैं तो वे क्यों ऐतराज कर रहे हैं. शारदा नदी और महाकाली के नाम से भी जानी जाने वाली काली नदी उत्तराखंड के पिथौरागढ जिले में हिमालय के कालापानी से निकलती है और भारत से लगने वाली नेपाल की पश्चिमी सीमा के साथ बहती है.
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