Nepal Supreme Court Big Order: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल (Pushpakamal Dahal Prachanda) अपने एक बयान की वजह से बड़ी मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं. दरअसल, नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने एक दशक लंबे विद्रोह के दौरान पांच हजार लोगों की मौत की जिम्मेदारी लेने वाले प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के खिलाफ एक रिट याचिका दर्ज करने का आदेश प्रशासन को दिया है.


सुप्रीम कोर्ट प्रशासन की ओर से दो वकीलों की तरफ से दायर याचिकाओं को खारिज करने के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ईश्वर प्रसाद खतिवडा और हरि प्रसाद फुयाल की पीठ ने शुक्रवार को यह आदेश दिया.


पिछले साल दर्ज नहीं की गईं थीं ये याचिकाएं


संघर्ष के पीड़ित वकील ज्ञानेंद्र आराण और कल्याण बुधाठोकी ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं, लेकिन अदालत के प्रशासन ने पिछले साल 10 नवंबर को इन याचिकाओं को दर्ज करने से इनकार कर दिया था. इसके बाद एक बार फिर इन दोनों ने कोर्ट का सहारा लिया. इनका पक्ष सुनने के बाद ही अदालत ने फैसला सुनाया और प्रशासन से याचिका दायर करने को कहा. 


करीब 17 साल पुराना है मामला


बता दें कि नेपाल में यह विद्रोह 13 फरवरी 1996 में शुरू हुआ था और 21 नवंबर 2006 को सरकार के साथ व्यापक शांति समझौता होने के बाद आधिकारिक तौर पर खत्म हो गया था. 15 जनवरी 2020 को काठमांडू में एक कार्यक्रम में प्रचंड ने कहा था, “मुझपर 17000 लोगों की हत्या का आरोप लगाया जाता है जो सच नहीं है. हालांकि, मैं इस संघर्ष के दौरान पांच हजार लोगों की हत्या की जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं, लेकिन प्रचंड ने ये भी कहा था कि शेष 12000 हत्याओं की जिम्मेदारी सामंती सरकार ले. प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल के इस बयान को सुनने के बाद पीड़ितों ने मांग की है कि अदालत प्रचंड के खिलाफ उन हत्याओं के लिए जरूरी कानूनी कार्रवाई करे, जो उन्होंने खुद स्वीकार की हैं.


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