(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
New Law in Russia for War: रूस में युद्ध के लिए नया कानून पास, सेवा से इनकार पर 10 साल की जेल
New Law in Russia: स्टेट ड्यूमा वेबसाइट पर प्रकाशित बिल के अनुसार, कानून के तहत स्वैच्छिक आत्मसमर्पण के लिए 15 साल तक की जेल की सजा हो सकती है, लेकिन पहली गलती माफ हो सकती है.
New Law in Russia for War: रूसी राष्ट्रपति (Russian President) व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने शनिवार (24 सितंबर) को एक कानूनी विधेयक पर हस्ताक्षर किए, जिसमें युद्ध के दौरान सैन्य कर्मियों की अनुपस्थिति (Desertion) और गैर-उपस्थिति (Non Appearance) के लिए लंबी जेल की सजा का प्रावधान है. यह कदम पुतिन की तरफ से यूक्रेन में युद्ध के लिए आंशिक सैन्य लामबंदी की घोषणा के तीन दिन बाद आया है. दरअसल, ये कानूनी परिवर्तन पहली बार रूसी आपराधिक संहिता (law on imprisonment) में मार्शल लॉ और युद्धकाल की अवधारणाओं को पेश करते हैं.
स्टेट ड्यूमा वेबसाइट पर प्रकाशित बिल के अनुसार, कानून के तहत स्वैच्छिक आत्मसमर्पण के लिए 15 साल तक की जेल की सजा हो सकती है, लेकिन पहली बार इनकार पर आपराधिक दायित्व से छूट दी जा सकती है. शर्त ये है कि वह अपनी रिहाई के लिए उपाय करे. अपनी यूनिट या पोस्ट पर लौटे और कैद में रहते हुए कोई और अपराध न करे.
लामबंदी या युद्धकाल की अवधि के दौरान निर्वासन पर 10 साल की सजा होगी, जबकि सेवा में रहने के दौरान आपत्ति जतानेवालों को तीन साल की जेल होगी.
विदेशियों के लिए नागरिकता देने का भी प्रवधान
कानून के अनुसार, रूस की सेवा करने वाले विदेशियों के लिए नागरिकता देने का भी प्रावधान है. बिल के अनुसार, "विदेशी नागरिक जिन्होंने कम से कम एक साल के लिए रूसी सशस्त्र बलों, सेना या सैन्य संरचनाओं में सेवा के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, वे निवास परमिट प्राप्त किए बिना एक सरल प्रक्रिया के तहत रूस की नागरिकता हासिल करने में सक्षम होंगे." पहले के कानून के अनुसार, "विदेशी नागरिकों को कम से कम तीन साल के लिए अनुबंध के तहत सेना में सेवा करनी होती थी."
जुलाई में सभी दलों के सांसदों ने पेश किया था प्रस्ताव
वहीं, इस कानून (law) में युद्ध (War) के समय और लामबंदी के दौरान लूटपाट के लिए 15 साल की सजा का भी प्रावधान है. इस को बिल जुलाई में संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी दलों के सांसदों द्वारा पेश किया गया था. इस सप्ताह रूसी संसद के दोनों सदनों की तरफ से तेजी से पारित किया गया था. कई पर्यवेक्षकों ने संसद के माध्यम से इसके त्वरित पारित होने को पुतिन (Putin) की आंशिक लामबंदी की घोषणा के रूप में देखा.
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