कोरोना वायरस संक्रमण के कारण दुनियाभर में जन-जीवन प्रभावित हुआ है. करोड़ों लोग इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, जबकि लाखों की मौत हो चुकी है. एक तरफ इसकी दवा पर काम जारी है, तो वहीं दूसरी तरह वायरस के कारण शरीर पर पड़ रहे अलग-अलग प्रभावों पर भी शोध जारी है. ऐसी ही एक नई रिसर्च में उस कारण का पता चला है, जिसके चलते कोरोना मरीजों के सूंघने की क्षमता प्रभावित होने की शिकायतें आई हैं.
अमेरिका की प्रसिद्ध जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन की डॉक्टरों की एक रिसर्च टीम ने इस विषय पर हाल ही में एक अध्ययन किया. इस रिसर्च टीम ने कोरोना मरीजों में सूंघने की शक्ति के खत्म होने का संभावित कारण ढूंढ़ने का दावा किया है. ये ताजा स्टडी यूरोपियन रेस्पिरेटरी जर्नल में प्रकाशित हुई है.
ACE-2 एंजाइम के कारण पड़ता है असर
रिसर्च में सामने आया है कि इंसानी शरीर में सूंघने की क्षमता के लिए जिम्मेदार नाक के अहम हिस्से में एक खास एंजाइम के उच्च स्तर में मौजूद होने के कारण ये समस्या आ रही है.
रिसर्च टीम ने कोरोना मरीज की नाक की सर्जरी के दौरान निकाले गए टिशू का अध्ययन किया. इसमें उन्होंने पाया कि सूंघने के लिए जिम्मेदार नाक के हिस्से के पास बड़े स्तर पर ACE-2 (Angiotencin-coverting enzyme-II) एंजाइम पाया गया है. यही शरीर में कोरोना वायरस के लिए एंट्री प्वाइंट का काम करता है.
यूनिवर्सिटी के डॉ एंड्र्यू पी लेन और डॉ मेंगफे चेन की रिसर्च टीम का मानना है कि इस स्टडी के नतीजों से ये संकेत मिलता है कि क्यों ये संक्रमण इतनी आसानी से फैल रहा है और अगर नाक के इस हिस्से को आधार बनाकर इस वायरस का ज्यादा बेहतर इलाज ढूंढ़ा जा सकता है.
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