New Laws For Women In Malaysia: मलेशिया ने इस महीने के शुरुआत में महिलाओं पर पाबंदी के लिए नए कानून लागू किया है. इसके मुताबिक टेरेंगानु राज्य के महिलाओं को पुरुषों के कपड़े पहनने पर रोक लगा दी गई है. यहां महिलाएं बिना शादी किए गर्भधारण नहीं कर सकती हैं. इस राज्य ने 'जादू टोना ' को भी गैरकानूनी घोषित कर दिया है. मलेशिया में इस कानून के लागू होने के बाद दक्षिण-पूर्व एशिया में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में काफी रोष है.



टेरेंगानु राज्य में यह कानून विधानसभा ने पारित किया है. जो भी इस कानून को तोड़ेगा, उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के तहत 93 हजार का जुर्माना देने का नियम बनाया गया है. इसके अलावा तीन साल के लिए जेल जाने की भी बात कही गई है.


अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खतरा
ऑल वुमेन एक्शन सोसाइटी समेत 14 अधिकार समूहों ने कहा, यह कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता और गैर-भेदभाव के अधिकार का उल्लंघन करते हैं. टेरेंगानु राज्य इस्लामिक कट्टरवाद पर केंद्रित पार्टी इस्लाम से-मलेशिया द्वारा शासित किया जाता है. पड़ोसी देश इंडोनेशिया ने कुछ इसी तरह के कानून को लागू किया था. अब मलेशिया ने भी उस कानून का अनुसरण किया है.

 
ब्लूमबर्ग ने क्या कहा

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक मलेशिया ने पिछले महीने हुए  G20 शिखर सम्मेलन के साथ-साथ इस साल कई निवेशकों के शिखर सम्मेलन में राजनयिक पूंजी और वित्तीय तंत्र का निवेश करके आर्थिक रूप से रफ्तार पकड़ी है. अब तक वैश्विक फंडों से 2022 में घरेलू बॉन्ड बाजार से 1.2 बिलियन डॉलर से अधिक की निकासी की गई है. रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण पूर्व एशियाई देश में राजनीतिक अस्थिरता का कारण कट्टरवाद है.


राज्य के धार्मिक अधिकारी  ने क्या कहा
राज्य द्वारा संचालित बरनामा समाचार एजेंसी के हवाले से राज्य के धार्मिक अधिकारी सतफुल बहारी ममत ने कहा, नए कानून "मुसलमानों की भलाई" और रक्षा करेंगे. उन्होंने कहा, पुरुषों की तरह व्यवहार करने वाली महिलाओं पर प्रतिबंध लगाया गया था, क्योंकि मौजूदा कानून केवल महिलाओं की तरह काम करने वाले पुरुषों से संबंधित थे.


टॉमबॉय या लेस्बियन के व्यापक मामले हो रहे हैं

उन्होंने राज्य समाचार एजेंसी को बताया, "अतीत में इस मुद्दे (पुरुषों की तरह काम करने वाली महिलाओं) में बहुत कुछ नहीं हो सकता था, लेकिन अब हम देखते हैं कि 'पेंगकिड' (टॉमबॉय या लेस्बियन ) के मामले और अधिक व्यापक हो रहे हैं, इसलिए राज्य सरकार इस मुद्दे पर रोक लगाना चाहती है.