अमेरिका के कई राज्यों में अब इंसानी लाशों से बन रही है खाद...
जलवायु परिवर्तन को अब बेहद संजीदगी से लिया जाने लगा है. यही वजह है कि धरती पर इसके असर को कम करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाने लगे हैं. ऐसा ही लाशों से खाद बनाने का एक तरीका अमेरिका ने अपनाया है.
पैदा होना और मरना इंसानी जिंदगी का सच है. मौत के बाद आपका कोई कितना भी प्रिय हो उसे आखिरी विदाई देने के बाद वो आपके साथ नहीं रहता, लेकिन अब जलवायु परिवर्तन से निपटने और पर्यावरण को फायदा पहुंचाने वाले तरीकों में ऐसा संभव हो सकता है कि आपका कोई प्रिय मौत के बाद भी कोई पेड़, कोई फूल का पौधा बन कर आपके साथ सदा के लिए रह सकता है.
इस तरह का तरीका संयुक्त राज्य अमेरिका में अपनाया जाने लगा है. इसके तहत किसी शख्स की मौत होने के बाद उसके खानदान वाले उसकी लाश के खुद-ब-खुद कब्र में प्राकृतिक तरीके से मिट्टी में मिलने का इंतजार नहीं करते हैं. इसकी जगह वो अपने प्रिय की लाशों को खाद के रूप में बदल रहे हैं. आज से 4 साल पहले वॉशिगटन ऐसा करने वाला यूएस का पहला स्टेट बना था.
साल 2019 में वॉशिंगटन ने की पहल
साल 2019 में वॉशिंगटन मानव खाद को वैध बनाने वाला अमेरिका का पहला राज्य बना था. इसके लिए यहां एक नया कानून लाया गया था. इसके तहत अब वहां के लोग मरने के बाद अपने शरीर को मिट्टी में बदलने का विकल्प चुन सकते हैं. इस प्रक्रिया को श्मशान और अंत्येष्टि के विकल्प के तौर पर देखा जाता है. ये उन शहरों में एक व्यावहारिक विकल्प के तौर पर सामने आया है जहां कब्रिस्तानों के लिए जमीन मुश्किल से मयस्सर होती है.
इस प्रक्रिया में कंपोस्टिंग के आखिर में परिवारों को लाशों की मिट्टी दी जाती है, जिसका इस्तेमाल वो फूल, सब्जियां या पेड़ लगाने में कर सकते हैं. मंगलवार 21 मई 2019 में गवर्नर जे इंसली के इस बिल पर साइन करते ही इसने कानून का रूप ले लिया था. दरअसल उस वक्त कैटरीना स्पेड ने इस कानून पेश करने की जमकर पैरवी की.
कैटरीना ने ही एक ऐसी कंपनी बनाई जो इस तरह की सर्विस देने वाली पहली कंपनी बनी थी. एजेंसी फ्रांस-प्रेस के मुताबिक उस वक्त कैटरीना स्पेड ने कहा था कि रिकम्पोजिंग दफन करने और दाह संस्कार का एक बेहतरीन विकल्प देता है जो प्राकृतिक, सुरक्षित और टिकाऊ है. इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आने के साथ ही जमीन की बचत होगी जो मरने के बाद दफनाने के लिए इस्तेमाल की जाती है.
कैसे बनती है इंसानी लाश से खाद
दफनाने और दाह संस्कार के मुकाबले मानव खाद को पर्यावरण के लिए फायदेमंद बेहतरीन विकल्प के तौर पर देखा जाता है. रीकम्पोज़ की प्रक्रिया में मृत मानव शरीर को अल्फाल्फा (पशुओं के चारे के लिए इस्तेमाल होने वाला एक तरह का पौधा), लकड़ी के चिप्स और पुआल से भरे हेक्सागोनल (षट्कोण के आकार) स्टील के कंटेनर में रखा जाता है.
इसके बाद कंटेनर को बंद कर दिया जाता है और शरीर 30 दिनों के अंदर स्वाभाविक तौर से विघटित हो जाता है यानी मिट्टी में बदल जाता है. इससे लगभग दो ठेले मिट्टी बन जाती है. पर्यावरण के लिए फायदेमंद होने की वजह से दफन करने के विकल्प तौर पर ये तरीका वहां तेजी से लोकप्रिय हो रहा है.
मई 2019 के शुरुआत में यह पता चला था कि दिवंगत अभिनेता ल्यूक पेरी को कैलिफोर्निया में "मशरूम स्वीट" में सुपुर्द-ए-खाक किया गया था. उनके परिवार ने उनकी लाश को पर्यावरण के अनुकूल दफन करने का विकल्प चुना था. इस के निर्माता, जे रिम ली के मुताबिक यह शरीर के अपघटन और दाह संस्कार के दौरान पर्यावरण में जारी जहरीले प्रदूषकों की मात्रा को कम करता है.
एक मशरूम स्वीट मशरूम के बीजों से बना एक बायोडिग्रेडेबल दफन कफन है. इसमें मशरूम के बीजों को शरीर को विघटित करने और उसमें से विषाक्त पदार्थों को छानने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है ताकि मृत शरीर में दफन होने के बाद आसपास के पौधों के जीवन को दूषित न करे. स्वीडन में मानव खाद बनाने की प्रक्रिया पहले से ही कानूनी है. वही प्राकृतिक दफन यानी जहां शरीर को बगैर ताबूत के या बायोडिग्रेडेबल ताबूत के साथ दफन करने की प्रक्रिया ब्रिटेन में कानूनी हैं.
मानव खाद की कानूनी वैधता वाला छठा राज्य न्यूयॉर्क
इंसान के शरीर को मानव खाद बनाने की मंजूरी देने वाला न्यूयॉर्क सबसे नया अमेरिकी राज्य बन गया है. इस राज्य में भी कोई भी शख्स मौत के बाद अपने शरीर को शरीर को मिट्टी में बदल सकता है. इसे प्राकृतिक कार्बनिक रिडक्शन के तौर पर भी जाना जाता है, जिसमें कई हफ्तों तक शरीर एक बंद कंटेनर में विघटित या खुद-ब- खुद घुल होता है.
अमेरिकी में इस प्रक्रिया को कानूनन वैध करने वाला पहला राज्य वॉशिंगटन था. कोलोराडो, ओरेगन, वर्मोंट और कैलिफोर्निया के बाद न्यूयॉर्क अमेरिका में छठा ऐसा राज्य बन गया है जहां मृत शरीर को खाद में बदलने को कानूनी मंजूरी दे दी गई है. इस राज्य के डेमोक्रेटिक गवर्नर कैथी होचुल की शनिवार 31 दिसंबर 2022 में इस कानून पर मुहर लगाई थी.
कॉर्बन उत्सर्जन में कमी
एक अमेरिकी फर्म रीकंपोज़ की माने तो दफन करने का ये नया तरीका दाह संस्कार या पारंपरिक दफन की तुलना में एक टन कार्बन उत्सर्जन में कमी लाता है. जलवायु परिवर्तन में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन एक बड़ी भूमिका निभाता है. इससे जलवायु परिवर्तन के अहम कारकों में से एक माना जाता है. इससे धरती की गर्मी धरती में ही रह जाती है. जिसे ग्रीन हाउस प्रभाव नाम दिया जाता है.
किसी भी मृत शरीर को पारंपरिक तरीके से दफन करने में ताबूत जिसे बनाने में लकड़ी का इस्तेमाल होता है. जमीन और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल होता है. मानव खाद के समर्थकों का कहना है कि यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद विकल्प है, बल्कि उन शहरों में बेहद काम का है जहां कब्रिस्तानों के लिए जमीन सीमित है.
न्यूयॉर्क पोस्ट ने वॉशिंगटन में मृत शरीर को खाद में बदलने की सर्विस देने वाले रिटर्न होम के हवाले से लिखा है कि न्यूयॉर्क में इस प्रक्रिया को मंजूरी मिलना देश भर में ग्रीन डेथ केयर को आसान बनाने की तरफ उठाया गया एक बड़ा कदम है.
विरोध में भी उठ रही आवाजें
ऐसा नहीं है कि इंसानी लाशों को मानव खाद में तब्दील करने वाले तरीके से अमेरिका में सब राजी हैं. इस प्रक्रिया को लेकर वहां विरोध के स्वर भी ऊंचे हैं. वहां कुछ लोगों के खाद बनाने के बाद मिट्टी कहां जाती है ये भी एक नैतिक सवाल बना हुआ है. न्यूयॉर्क राज्य में कैथोलिक बिशपों ने कथित तौर पर इस कानून का विरोध किया. उन्होंने यह तर्क दिया है कि मानव शरीर को "घरेलू कचरे" की तरह नहीं माना जाना चाहिए. यही नहीं कंपोस्टिंग की लागत को लेकर भी वहां चिंता जताई जा रही है.
इस बारे में अमेरिका के सिएटल की रीकंपोज फर्म का कहना है कि इसका खर्चा 7,000 डॉलर तक होता है जो पारंपरिक दफन के बराबर ही रहता है. ये फर्म दुनिया में मानव खाद बनाने के सर्विस देने वाली पहली फर्म में से एक है. नेशनल फ़्यूनरल डायरेक्टर्स एसोसिएशन- एनएफडीए (National Funeral Directors Association- NFDA) के मुताबिक अमेरिका में दफन वाले अंतिम संस्कार के लिए औसत राशि 2021 में 7,848 डॉलर थी, या श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए 6,971 डॉलर थी.