नई दिल्ली: एक तरफ ड्रैगन की विस्तारवादी नीति और दूसरी तरफ दुनिया का सुपर पावर. बॉर्डर पर चीन की साजिश कैसे अमेरिका के लिए चुनौती है. इसको लेकर अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक लेख छापा है. न्यूयॉर्क टाइम्स के बीजिंग ब्यूरो चीफ स्टीवन ली मेयर्स ने लिखा है. चीन की सैन्य कार्रवाई पड़ोसी मुल्कों को उकसा रहा है लेकिन ये संदेश अमेरिका के लिए है. हिमालय से लेकर दक्षिण चीन सागर तक चीन अपनी विस्तारवादी नीति को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ा रहा है, जिससे खूनी संघर्ष की आशंका बढ़ गई है.


भारत-चीन विवाद न्यूयॉर्क टाइम्स के बीजिंग ब्यूरो चीफ स्टीवन ली मेयर्स लेख में वे चीन की शक्ति और मंसूबे का आकलन करते दिखाई देते हैं. वे कहते हैं कि चीन यह सब अमेरिका को उकसाने के लिए कर रहा है. चीन भारत में पूर्वी लद्दाख, ताइवान में फाइटर जेट और जापान में पनडुब्बी भेजकर चीन भले ही अपने पड़ोसियों को तंग कर रहा हो, दरअसल वह वैश्विक प्रभुत्व स्थापित करने के लिए अमेरिका को चुनौती देना चाहता है.


चीन का कहना है कि अमेरिका ऐसे क्षेत्रों में हस्तक्षेप कर रहा है जहां उसका अधिकार नहीं है. जानकारी के मुताबिक जिस तरह के हालात सीमा (एलएसी) पर बने हुए हैं उससे लगता नहीं है कि जल्द डिसइंगेजमेंट हो पाएगा. इस डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया को पूरा होने में कुछ महीने लग सकते हैं. डिसइंगेजमेंट के लिए 6 और 22 जून की मीटिंग में दोनों देश के कोर कमांडर भले ही तैयार हो गए हों, लेकिन ये एक लंबी प्रक्रिया है. क्योंकि पूर्वी लद्दाख में अभी भी कई फ्लैश पॉइंट हैं--गलवान, फिंगर एरिया, गोगरा और डेपसांग प्लेन्स.


न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक फोटो शेयर की है जिसमें दिखाया गया है कि चीन ने गलवान घाटी में सैनिकों की तैनाती की है. अखबार ने लिखा है कि गलवान घाटी की झड़प में चीन को भी नुकसान हुआ लेकिन उसने हतातहत सैनिकों की संख्या के बारे में खुलासा नहीं किया.


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