Niger: नाइजर से अपने नागरिकों को निकाल रहा है फ्रांस, इन देशों की धमकियों के बाद बढ़ गया है खतरा
France Evacuates Citizens From Niger: सैन्य तख्तापलट के बाद नाइजर के हालात तनावपूर्व बने हुए हैं. ऐसे में खतरे को देखते हुए फ्रांस ने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालना शुरू कर दिया है.
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Niger Coup: सैन्य तख्तापलट के बाद नाइजर के हालात तनावपूर्व बने हुए हैं. इस तख्तापलट को तीन पश्चिमी अफ्रीका देशों का समर्थन मिल गया है, जिससे खतरा और बढ़ गया है. सैन्य तख्तापलट को जिन तीन देशों का समर्थन मिला है, वहां फिलहाल बागी सैनिकों का ही शासन चल रहा है. मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए फ्रांस ने अपने नागरिकों को नाइजर से सुरक्षित निकालना शुरू कर दिया है.
फ्रांस की विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना ने फ्रांस के एलसीआई टीवी से बातचीत में कहा कि नाइजर में चल रहे तख्तापलट के कारण स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. ऐसे में हमने यह सुनिश्चित करने का फैसला किया है कि जो फ्रांसीसी नागरिक नाइजर छोड़ना चाहते हैं, वे ऐसा कर सकते हैं. सरकार उनकी ऐसा करने में मदद करेगी.
नाइजर से सुरक्षित निकाले जा रहे लोग
कैथरीन कोलोना ने अनुमान लगाया कि सैकड़ों फ्रांसीसी नागरिक और सैकड़ों अन्य यूरोपीय संघ के नागरिक 24 घंटों में सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाएंगे. उन्होंने कहा कि एक विमान मंगलवार शाम को राजधानी नियामी के हवाई अड्डे से रवाना हो चुका है, जबकि अन्य लोगों को निकाला जा रहा है.
वहीं, संघर्ष बढ़ने के खतरे को देखते हुए स्पेन ने भी कहा है कि वह हवाई मार्ग से 70 से अधिक नागरिकों को निकालने की तैयारी कर रहा है. इसके साथ ही इटली ने कहा कि वह अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने की कोशिश में लग गया है.
माली और बुर्किना फासो ने भी दी धमकी
नाइजर के पड़ोसी देश माली और बुर्किना फासो ने सैन्य तख्तापलट को समर्थन देते हुए कहा कि अपदस्थ सरकार को बहाल करने के लिए किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को युद्ध की घोषणा के रूप में देखा जाएगा. बता दें कि, पिछले बुधवार को सेना ने नाइजर के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ौम और उनकी सरकार को उखाड़ फेंका था.
फ्रांस के लिए बढ़ गया खतरा
इसके साथ ही नाइजर के नए सैन्य नेताओं ने वरिष्ठ राजनेताओं को गिरफ्तार करने के साथ ही मोहम्मद बज़ौम को उनके महल में कैद कर लिया. साथ ही इन्हें निकालने के किसी भी विदेशी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी है. तख्तापलट के बाद फ्रांस की चिंताएं तब ज्यादा बाद गई, जब 30 जुलाई को फ्रेंच दूतावास पर हमले हुए. इस दौरान प्रदर्शनकारियों के हाथों में पोस्टर और तख्तियां थीं, जिनपर फ्रांस विरोधी नारे लिखे थे.
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