(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Nigerian President: इस देश में महंगाई ने तोड़ा 28 साल का रिकॉर्ड, काबू पाने के लिए राष्ट्रपति ने बदल दिया राष्ट्रगान
Nigerian President: एसबीएम इंटेलिजेंस के चीफ चेता न्वानज़े का कहना है कि यह समय की बर्बादी है. इस समय नाइजीरिया में जो सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है वह मुद्रास्फीति और सुरक्षा की समस्याएं हैं.
Nigerian President: नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला टिनुबू ने हैरान कर देने वाला फैसला लिया है. जिसमें उन्होंने एक ऐसे विधेयक पर साइन किए हैं. राष्ट्रपति ने ब्रिटिश काल में लिखित राष्ट्रगान को फिर से अपनाया गया है. हालांकि, इस राष्ट्रपति बोला टिनुबू के इस फैसले को लेकर कुछ लोगों ने बढ़ते आर्थिक संकट से ध्यान हटाने के लिए एक सनकी कदम के रूप में खारिज कर दिया है.
न्यूज एजेंसी रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अब से नाइजीरियन सरकार ने अपने राष्ट्रगान में "एराइज ओ' कॉम्पेट्रियट्स" की जगह पर "वी हेल थे" का इस्तेमाल किया जाएगा. दरअसल, पिछले गुरुवार को पेश किए गए इस विधेयक को बिना किसी विधायी बहस के तत्काल स्वीकृति मिल गई.
नाइजीरिया की अर्थव्यवस्था में आई भारी गिरावट
हालांकि, नाइजीरिया में राष्ट्रपति बोला टिनुबू के कार्यकाल के पहले साल में नाइजीरिया की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आई है, जिसका संकेत उन्होंने बुधवार को संसद को संबोधित करके दिया और मुद्रास्फीति 28 सालों के उच्चतम स्तर 33.20% पर पहुंच गई है.
जानिए कब बना नाइजीरिया का राष्ट्रगान
स्वतंत्रता राष्ट्रगान को साल 1978 में तत्कालीन सैन्य प्रमुख ओलुसेगुन ओबासान्जो ने बिना कोई आधिकारिक कारण बताए निरस्त कर दिया था, लेकिन यह समझा गया कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इसे ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान एक ब्रिटिश व्यक्ति ने लिखा था. हालांकि, कुछ नाइजीरियाई लोगों ने इस कदम पर अविश्वास व्यक्त किया है, क्योंकि, देश आर्थिक संकट और बिगड़ती सुरक्षा व्यवस्था से जूझ रहा है.
राष्ट्रगान बदलना समय की बर्बादी- चेता न्वानज़े
इस दौरान लागोस से संचालित सुरक्षा कंपनी एसबीएम इंटेलिजेंस के प्रमुख भागीदार चेता न्वानज़े ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि यह समय की बर्बादी है. चूंकि, इस समय नाइजीरिया में जो सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है वह मुद्रास्फीति और सुरक्षा की समस्याएं हैं. ऐसे में नाइजीरिया सरकार को उन मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए.
पश्चिमी अफ्रीका में अटलांटिक महासागर के तट पर बसा नाइजीरिया आबादी के लिहाज से दुनिया का छठा बड़ा देश है. 22.5 करोड़ की आबादी वाले नाइजीरिया के पास दुनिया का 10वां बड़ा पेट्रोलियम भंडार है. आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा खपत के लिहाज से नाइजीरिया का तेल भंडार 237 साल तक लगातार काम आ सकता है लेकिन आईएमएफ की 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक 32 फीसदी नाइजीरियाई नागरिक अति गरीबी का शिकार हैं. फिर भी इस समय देश में मुद्रास्फीति सबसे उच्चतम स्तर पर हैं. ऐसे में लोगों को काफी महंगाई का सामना करना पड़ रहा है.