लंदन: भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को ब्रिटेन की एक अदालत ने मंगलवार को 11 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इसके बाद उसके मामले की पांच दिन वीडियो लिंक के जरिए सुनवाई की जाएगी.


नीरव मोदी भारत में पंजाब नेशनल बैंक से दो अरब डालर (चौदह हजार करोड़ रुपये से अधिक) के कर्ज की धोखा धड़ी और मनी-लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपी है. साथ ही उसे भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. वह अपने प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ ब्रिटेन की अदालत में चुनौती दे रहा है.


49 वर्षीय नीरव इस समय दक्षिण पश्चिम लंदन की एक जेल में है. उसे मंगलवार को वीडियो लिंक के जरिए ही जेल से अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया. उसने वेस्टमिनिस्टर मैजिस्ट्रेट की अदालत में खुद बोल कर अपने नाम और जन्मतिथि की पुष्टि की.


ब्रिटेन की अदालतों में इस समय कोराना वायरस संक्रमण के खतरे के कारण ऑनलाइन वीडियो संपर्क के माध्यम से ही पेशी हो रही हैं. नीरव के मामले में जिला जज सैमुअल गूजी ने पहले तो इस लॉकडाउन के दौर में प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई कार्यक्रम के अनुसार अगले महीने किए जाने पर आपत्ति जताई.


बाद में सभी पक्ष मान गए कि सुनवाई के संबंध में अदालत की सीवीपी यानी सामान्य दृश्य प्रणाली का परीक्षण सात मई को होगा. इसमें केवल वकील शामिल होंगे. उसके बाद 11 मई को अंतिम सुनवाई शुरू होगी.


जज ने कहा कि कुछ जेलों के कैदियों को व्यक्तिगत रूप से पेश कराया जा रहा है. इस लिए मैं वांड्सवर्थ जेल को निर्देश देता हूं कि नीरव मोदी को सुनवाई के लिए 11 मई को पेश किया जाए. यदि व्यक्तिगत रूप से पेश किया जाना व्यवहारिक ना हो तो सुनवाई में उसे वीडियो लिंक के जरिए शामिल कराया जाए.


आज सम्बद्ध पक्षों में सहमति हुई कि सुनवाई के समय अदालत कक्ष में सीमित संख्या में ही लोग रहेंगे. नीरव मोदी को भारत के हवाले किए जाने की अर्जी से संबंधित मामले में यह सुनवाई पांच दिन चलेगी. ब्रिटेन सरकार ने भारत की अर्जी पर कार्रवाई के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी थी.


यह मामला भारत की दो जांच एजेंसियों केंद्रीय जांच ब्यूरो और सतर्कता निदेशालय ने दायर किया है. आरोप है कि नीरव मोदी ने भारतीय बैंक के फर्जी सहमति-पत्र दिखा कर विदेशों में बैंकों से कर्ज लिए और उस धन की हेरा फेरी की.


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