Questions On Kailasa: भारत से भगोड़ा नित्यानंद के स्वघोषित देश कैलासा के प्रतिनिधित्व ने संयुक्त राष्ट्र पहुंचकर सबको चौंका दिया था. उस वक्त से कैलासा काफी चर्चा में है. हर कोई इस देश के विषय में जानना चाहता है. ये देश कहां है? यहां की करेंसी कौन सी है? यहां सरकार कैसे चलती है? इसकी नागरिकता कैसे मिल सकती है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के जेहन में बस चुके हैं. नित्यानंद ने खुद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ऐसे सवालों के जवाब दिए हैं.
अपने स्वघोषित देश कैलासा को लेकर नित्यानंद ने ट्वीट करके कहा, "संयुक्त राज्य कैलासा एक सीमा रहित सेवा-उन्मुख राष्ट्र है, जो कई एनजीओ, मंदिरों और कई देशों में मठों के माध्यम से चलता है." नित्यानंद ने द वॉशिंगटन पोस्ट की पत्रकार मारिया पौल के सवाल के जवाब में ये बातें कहीं. उन्होंने दावा किया कि कैलासा प्राचीन प्रबुद्ध हिंदू सभ्यता राष्ट्र का पुनरुत्थान है. उन्होंने अपने सवाल-जवाबों को बकायदा ट्विटर पर भी शेयर किया है.
कैसे काम करता है कैलासा?
कैलासा की प्रामाणिकता के बारे में पूछे जाने पर नित्यानंद ने कहा, "ये सॉवरेन ऑर्डर ऑफ माल्टा की तरह ही एनजीओ, मंदिरों और कई देशों में मठों के माध्यम से चलता है." उन्होंने कहा, "सॉवरेन ऑर्डर ऑफ माल्टा भी सन 1113 के बाद से कैथोलिक चर्च का एक धार्मिक आदेश है, जिसे संयुक्त राष्ट्र से मान्यता मिली है. माल्टा का कोई वास्तविक क्षेत्र नहीं होने के बावजूद 100 से अधिक राज्यों के साथ राजनयिक संबंध हैं."
कैलासा को लेकर पूरी जानकारी दी
उन्होंने कहा, "कैलासा का उद्देश्य लिंग, जाति, राष्ट्रीयता और रंग के बावजूद सभी के लिए एकता के सिद्धांत पर आधारित वैश्विक शांति है." आखिर ये देश काम कैसे करता है? क्या यहां चुनाव होते हैं और क्या यहां जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट जैसे जरूरी डॉक्यूमेंट भी जारी किए जाते हैं? इन सवालों के भी नित्यानंद ने जवाब दिए.
रेप के आरोपों का किया खंडन
नित्यानंद भारत से भगोड़ा है, वह तमिलनाडु का भगोड़ा तांत्रिक है, जो 2019 से छिपा हुआ है. भारत में बलात्कार और यौन उत्पीड़न के कई आरोपों में वांछित है. इन सवालों के जवाब में कैलासा के सचिव ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए इसे झूठ बताया. उसने कहा, "कई प्रतिष्ठित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने स्वतंत्र रिपोर्ट के माध्यम से नित्यानंद को क्लीन चिट दी थी." उसने कहा, "4 अप्रैल 2013 को कैलिफोर्निया (USA) कोर्ट ने हिंदू धर्म के सर्वोच्च पुजारी को निर्दोष साबित किया था. अदालत ने एसपीएच के पक्ष में फैसला सुनाया और झूठे पीड़ित को लगभग आधा मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया था."