कोरोना वायरस महामारी के बीच पिछले साल चीन में जन्म दर की संख्या करीब एक तिहाई घट गई है. ये इस बात का ताजा संकेत है कि सख्त परिवार नियोजन की नीति में ढील से देश को जन्म दर बढ़ाने का फायदा नहीं मिला. 'एक बाल नीति' के एक दशक बाद सरकार ने 2016 में नियमों का बदलाव कर परिवारों को दो बच्चे रखने की इजाजत दी गई क्योंकि देश की तेजी से बूढ़ी होती आबादी और काम करने की क्षमता के सिकुड़ने का चीन को डर था.


चीन में जन्म दर की संख्या करीब एक तिहाई घटी


सोमवार को सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों से पता चला कि देश में नवजात शिशुओं की संख्या 2020 में 15 फीसद तक कम हो गई. चीन में पिछले साल 10. 03 मिलियन पंजीकृत जन्म हुए थे, जबकि 2019 में 11. 79 मिलियन संख्या थी यानी पिछले साल जन्म दर में 30 फीसद से ज्यादा की गिरावट देखा गया. जानकारों का कहना है कि गिरावट के पीछे कोरोना वायरस का स्पष्ट असर दिखता है.


पिछले साल 10. 03 मिलियन पंजीकृत जन्म हुए 


महामारी ने लोगों की जीविका और अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया, जिसके चलते वैवाहिक जोड़ों को परिवार शुरू करने का फैसला भी बदलना पड़ा. चीन में जनसांख्यिकीय के मुद्दे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं क्योंकि कामकाजी आबादी रिटायर होने को पहुंच रही है.


विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यही रुझान जारी रहा या आबादी सिकुड़ने लगी, तो चीन अमीर होने से पहले बूढ़ा हो जाएगा. चीन ने 1979 से 2015 तक 'एक बाल नीति' अपनाया था. जिससे ज्यादा जोड़े एक ही बच्चा पैदा करने तक सीमित हो गए. आबादी को काबू करने की सख्त नीति के नतीजे में चीन के प्रजनन दर में अप्रत्याशित रूप से गिरावट आई. 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों की संख्या 1965 में 3. 36 फीसद से बढ़कर 2015 में करीब 10 फीसद हो गई. 2016 में जब एक बाल नीति में बदलाव कर दो बच्चे पैदा करने की छूट मिली, तो उसका नतीजा बेबी बूम की शक्ल में सामने नहीं आया.


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