Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान संकट पर संयुक्त राष्ट्र ने कतर में बुलाई बैठक, तालिबान को न्योता नहीं
UN On Taliban: पिछले हफ्ते ही अफगान महिलाओं के एक समूह ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था. साथ ही और राष्ट्रों से अपील की थी कि अफगानिस्तान के शासकों को मान्यता न दी जाए. यूएन इन मसलों पर चर्चा करेगा.
Afghanistan: अफगानिस्तान के शासकों से कैसे निपटा जाए. उन पर महिलाओं के काम करने और लड़कियों के स्कूल जाने पर लगे प्रतिबंध को कम करने के लिए दबाव कैसे बनाया जाए. ऐसे तमाम मसलों को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने कतर में दो दिवसीय वार्ता बुलाई है. हालांकि इस बैठक में तालिबान सरकार को आमंत्रित नहीं किया गया है.
अफगान संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की बुलाई बैठक में अमेरिका, चीन और रूस के साथ-साथ प्रमुख यूरोपीय सहायता दाताओं और पाकिस्तान जैसे प्रमुख पड़ोसियों समेत लगभग 25 देशों और समूहों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. लेकिन अफगानिस्तान को आमंत्रित नहीं किया गया है.
महिलाओं ने किया था प्रोटेस्ट
पिछले हफ्ते ही अफगान महिलाओं के एक समूह ने तालिबान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था. साथ ही और राष्ट्रों से अपील की थी कि अफगानिस्तान के शासकों को मान्यता न दी जाए. महिलाओं ने यह प्रोटेस्ट काबुल में किया था. मालूम हो कि अगस्त 2021 में सत्ता में लौटने वाला तालिबान महिलाओं और लड़कियों पर कई तरह की पाबंदियां लगा चुका है.
इस विषय पर संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि टिप्पणियों का गलत अर्थ निकाला गया. किसी भी देश ने तालिबान प्रशासन के साथ औपचारिक संबंध स्थापित नहीं किए हैं और संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता केवल संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा तय की जा सकती है.
महिलाओं को लेकर सख्त है तालिबान
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने पिछले हफ्ते कहा कि तालिबान की किसी भी तरह की मान्यता पर विचार नहीं किया जा रहा है. गौरतलब है कि हाल फिलहाल में तालिबान ने महिलाओं को अधिकांश माध्यमिक शिक्षा और विश्वविद्यालयों से रोक दिया गया है. साथ ही उन्हें अधिकांश सरकारी नौकरियों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और गैर सरकारी संगठनों में काम करने से रोका गया है.
तालिबान चाहता है कि उसे अन्य देशों से मान्यता मिले, जिससे विदेशों में ज़ब्त अरबों डॉलर की धनराशि वापस मिल जाए. लेकिन दोहा वार्ता में शामिल कई देशों के राजनयिकों ने कहा कि यह तब तक संभव नहीं होगा जब तक कि महिलाओं के अधिकारों में बदलाव नहीं होगा.
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