नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 37 CRPF जवानों को खोने वाला भारत सदमे के साथ बेहद गुस्से में भी है. भारत की इन भावनाओं के साथ पूरा विश्व खड़ा है. अमेरिका से रूस, जर्मनी से फ्रांस और सार्क देशों तक ने या तो भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है या समर्थन दिया है. लेकिन इस बीच दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी चीन ख़ामोश है. पाकिस्तान के हर मौसम के दोस्त इस ड्रैगन के मुंह से इसके पड़ोसी मुल्क भारत पर हुए ऐसे जघन्य आतंकी हमले के बावजूद दो बोल तक नहीं फूटे. भारत ने इस पर निराशा जताई है.
एबीपी न्यूज़ को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी में पता चला है कि भारत चीन की तरफ से नहीं मिल रही किसी प्रतिक्रिया से बेहद निराश है. इसी से जुड़े एक बयान में कहा गया, "चीन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है और भारत इससे निराश है. क्या उन्हें इस बात से शर्म आ रही है कि हमलावर वो लोग हैं जिन्हें चीन लंबे समय से बचाता रहा है." आपको बता दें कि हमले की ज़िम्मेदारी जैश ए मोहम्मद ने ली है. इसके सरगना मसूद अजहर को चीन लंबे समय से बचाता आया है. अजहर को भारत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करवाने का प्रयास करता रहा है. लेकिन यूएन में इसके ख़िलाफ़ चीन हर बार अपने वीटो का इस्तेमाल करता आया है.
इतना ही नहीं, अपने बेल्ट एंड रोड यानी बीआरआई के तहत चीन ने पाकिस्तान में इतना भारी निवेश किया है कि पाकिस्तान की टूटी कमर की लगभग सर्जरी हो गई. ये निवेश रियल स्टेट से लेकर बिजली परियोजनाओं तक में किया गया है. इसके तहत चीन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से एक सड़क लेकर भी जाने वाला है जिसका भारत ने घोर विरोध किया है. विरोध की वजह ये है कि पाकिस्तान से कब्ज़े वाले इस कश्मीर पर भारत का एतिहासिक दावा रहा है. चीन ने पाकिस्तान का ही हवाला देकर न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप यानी एनएसजी में भारत की एंट्री को रोक रखा है. चीन का कहना है कि अगर भारत एनएसजी का हिस्सा बनता है तो पाकिस्तान को भी इसका हिस्सा बनाया जाना चाहिए क्योंकि पाक भी इसके लिए सारी ज़रूरतें पूरी करता है.
चीन ने ख़ुद 2017 में भारत के साथ एक विवादास्पद सैन्य स्थिति को जन्म दिया था. ये स्थिति डोकलाम ट्राइजंक्शन में पैदा हुई थी. भारत के नॉर्थ ईस्ट के लिहाज़ से अहम इस ट्राईजंक्शन पर चीन अपना जबरदस्ती का दावा ठोकता रहा है. इसके जवाब में भारत ने भी अपनी फौज को वहां खड़ा कर दिया जिससे ऐसा गतिरोध पैदा हुआ जो 70 दिनों से अधिक तक चला था. इस दौरान हथियारों से लैस 270 भारतीय जवान दो बुलडोज़र लेकर वहां पहुंच ताकि चीनी सैन्य निर्माण को रोका जा सके. भारत ने उस समय तो इस निर्माण को रोक लिया लेकिन आपको बता दें कि चीन ने डोकलाम में सैन्य अड्डे का निर्माण कर लिया है.
बावजूद इसके भारत ने चीन के वुहान में पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक मुलाकात के सहारे डोकलाम से बिगड़े रिश्तों को सुधारने का प्रयास किया. हालांकि, इस मुलाकात में जो बातें हुईं उन्हें आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. लेकिन चीन भी बिल्कुल पाकिस्तान की तरह है. भारत जितनी बार इससे रिश्ते सुधारने की कोशिश करता है, ये सारे प्रयासों पर पानी फेर देता है. पाकिस्तान में पलने वाले जिस मसूद अजहर पर चीन आतंकी होने की मुहर नहीं लगने दे रहा उसके हत्यारे द्वारा ली गई 37 भारतीय जवानों की जान पर चीन की चुप्पी सालती है.
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