महामारी समाप्त नहीं होने के बावजूद  मेडिसिन का नोबल पुरस्कार जीतने की दौड़ में कोविड-19 वैक्सीन बनानेवाले वैज्ञानिक शामिल हो सकते हैं. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि ये महज समय की बात है. 2019 में पहली बार कोरोना का मामला उजागर होने से लेकर अब तक 4.7 मिलियन लोग कोविड-19 की वजह से जान गंवा बैठे हैं. कई देशों में अभी भी कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए सख्त पाबंदियां बरकरार हैं.


इस साल के लिए मेडिसिन का किसे मिल सकता है नोबल पुरस्कार?


कोविड-19 वैक्सीन ने अमीर मुल्कों को सामान्य स्थिति की तरफ लौटने में मदद की जबकि दूसरे देशों को बड़ी मात्रा में वैक्सीन के डोज अभी हासिल करना बाकी है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों का एक वर्ग मानता है कि इस साल का नोबल पुरस्कार के संभावित विजेता हंगरी में जन्मे Katalin Kariko और अमेरिकी Drew Weissman हैं. उनके काम को एमआरएनए वैक्सीन या मैसेंजर रीबोन्यूक्लीक एसिड के तौर पर जाना जाता है.


एमआरएनए तकनीक पर आधारित मॉडर्ना, फाइजर और उसकी सहयोगी जर्मन कंपनी बायोएनटेक की वैक्सीन ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में क्रांति ला दी है. स्वीडन में Karolinska Institute के प्रोफेसर अली मीराजामी ने कहा, "इस तकनीक से वैक्सीन बनानेवाले वैज्ञानिकों को देर या सबसे पुरस्कार मिलेगा, इस बारे में मैं निश्चित हूं. लेकिन सवाल है कि कब."


कोविड-19 वैक्सीन बनानेवाले वैज्ञानिकों के नाम की वकालत शुरू


पारंपरिक वैक्सीन को विकसित होने में एक दशक या उससे ज्यादा लग जाता है. मॉडर्ना की वैक्सीन को जीन सिक्वेंसिंग से लेकर पहले मानव इंजेक्शन तक जाने में 63 दिन लगे. एमआरएनए शरीर के डीएनए से उसके सेल्स तक संदेश पहुंचाता है, ये बताने के लिए कि उसको बीमारी से लड़ने के लिए प्रोटीन पैदा करने की जरूरत है. एमआरएनए मैसेंजर की पहली बार 1961 में खोज की गई थी लेकिन तकनीक से इलाज करने में वैज्ञानिकों को दशकों लग गए.


वैक्सीन विकसित करनेवालों को अब उम्मीद है कि उसका इस्तेमाल कैंसर और एचआईवी दोनों का इलाज करने के लिए भविष्य में किया जा सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तथ्य के अलावा कि उनको बहुत प्रभावी इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करने के लिए जाना गया है, नई वैक्सीन बनाते वक्त आपको हर समय उत्पादन को अनुकूल करने की जरूरत नहीं. उसने वास्तव में अपनी रफ्तार और दक्षता के कारण लाखों लोगों की जिंदगी बचाई है. 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार के विजेता को करीब 11 लाख अमेरिकी डॉलर की धनराशि दी जाती है.


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