नई दिल्ली: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई करीब छह साल बाद वापस पाकिस्तान लौट चुकी हैं. मलाला को पाकिस्तान में 9 अक्टूबर 2012 को लड़कियों के शिक्षा अधिकार के अभियान चलाने की वजह से तालिबानी आतंकियों ने सिर में गोली मार दी थी. इस हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गई थीं और उन्हें इलाज के लिए ब्रिटेन ले जाया गया था.


घटना के बाद वह इंटरनेशनल स्तर पर चर्चा में आईं. इलाज के बाद वह परिवार के साथ बर्मिघम में ही रहने लगी. जहां उन्होंने पढ़ाई पूरी की. मलाला को 17 साल की उम्र में 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके बाद से वह मानव अधिकारों और शिक्षा की लड़ाई का एक प्रतीक बन गईं.


मलाला यूसुफजई को संयुक्त राष्ट्र ने 'शांति दूत' नियुक्त किया. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मलाला को 'दुनिया में सर्वाधिक लोकप्रिय विद्यार्थी' और शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रतीक करार दिया था.


पाकिस्तान में क्या है मलाला का कार्यक्रम?


पाकिस्तान में मलाला किससे मिलेंगी और कहां-कहां जाएगी इसकी आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. उनकी यात्रा के दौरान के कार्यक्रम की संवेदनशीलता को देखते हुए गुप्त रखा गया है. खबर है कि वह वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी और आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा समेत कई बड़ी शख्सियतों से मुलाकात कर सकती हैं. मलाला अपने परिवार और मलाला फंड के सीईओ के साथ 'मीट द मलाला' कार्यक्रम में भी शामिल होंगी.


20 वर्षीय मलाला अपने पिता के साथ इस्लामाबाद के बेनजीर भुट्टो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंची. जहां उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच होटल ले जाया गया. पाकिस्तान आने पर ट्विटर पर मलाला का स्वागत किया जा रहा है. सैयद अली राजा ने ट्विटर पर लिखा, ''मैं पाकिस्तान की बहादुर बेटी मालाला यूसुफजई को अपने देश वापस आने के लिए स्वागत करता हूं.''