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Nobel Prize 2022: साल 2022 साहित्य का नोबेल फ्रांसीसी लेखिका एनी अर्नाक्स के नाम

Nobel Prize 2022: साहित्य के क्षेत्र में साल 2022 के नोबेल पुरस्कार का एलान कर दिया गया है. इस बार फ्रांसीसी लेखिका एनी अर्नाक्स (Annie Ernaux) को इससे नवाजा गया है.

Nobel Prize 2022: साल 2022 के साहित्य का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) फ्रांसीसी लेखिका एनी अर्नाक्स ( Annie Ernaux) के नाम रहा. जिंदगी की परेशानियों से हार न मानकर इस फ्रेंच लेखिका ने साबित कर दिया कि काबिलियत संघर्षों में ही निखरती है.

उनकी इसी जद्दोजहद को उन्होंने लफ्जों के जरिए अपने लेखन में उतारा. जिंदगी का यही सच जब उनकी किताबों के जरिए साहित्य जगत के सामने आया तो उन्हें दुनिया भर में पहचान और सराहना मिली.

इतनी प्रशंसा हुई कि इस धरती के सबसे सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार मेें से एक के लिए उनका नाम फाइनल हुआ और वो नोबेल पाने वाली सम्मानित हस्तियों में शामिल हो गईं. एक गांव से निकल दुनिया के फलक पर छा जाने की कहानी का नाम अब एनी अर्नाक्स कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति न होगी.

हुई साहस की सराहना

साहित्य नोबेल समिति के अध्यक्ष एंडर्स ओल्सन (Anders Olsson) ने स्वीडन के स्टॉकहोम में साल 2022 के पुरस्कार का एलान करने के बाद कहा," एनी अर्नाक्स ने कुछ सराहनीय और स्थायी हासिल किया है."

उन्होंने कहा ''एनी  साफ तौर पर स्वतंत्र और खुले लेखन में यकीन करती हैं. उनका काम समझौतावादी नहीं है. ये सादा भाषा में लिखा गया है, साफ-सुथरा है. उन्होंने अपने लेखन में बड़े साहस और कुशलता से तटस्थ रहते हुए तीखे शब्दों में हर दर्जे के दर्द का खुलासा किया है."

नोबेल पुरस्कार देने वाली संस्था स्वीडिश अकादमी के मुताबिक, 'एनी को उनके साहस और पूरी तटस्थता से भावों में बहे बगैर अपनी यादों के जरिए अपने निजी अतीत में झांककर अपनी मलिनता और सभी मजबूरियों के खुलासा के लिए नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है.'

सम्मान के साथ जिम्मेदारी भी है ये

साहित्य का पुरस्कार पाने वाली पहली फ्रैंच महिला एनी अर्नाक्स ने स्वीडिश ब्रॉडकास्टर एसवीटी (SVT) को टेलीफोन पर बताया कि यह पुरस्कार एक महान सम्मान के साथ ही एक बेहद अहम जिम्मेदारी भी है.  उन्होंने कहा कि ये पुरस्कार अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की जवाबदेही भी तय करता है.

लेखिका अर्नाक्स ने ये भी कहा कि साहित्य का तत्काल असर नहीं हो सकता है, लेकिन फिर भी वह महिलाओं और दबे-कुचलों के अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखने में इसकी जरूरत महसूस करती हैं. एनी ने अपनी लेखन शैली को सपाट और साफ कहा है.

एनी कहती हैं कि उनका मकसद अपने लेखन में दिखावे और भारी भावनाओं से अप्रभावित रहते हुए घटनाओं को बेहद निष्पक्ष नजरिए बताना है. फ्रेंच लेखिका एनी अपनी क्लासिक, विशिष्ट शैली के बावजूद एलान करती है कि वह उपन्यास लेखक की जगह खुद ही संस्कृतियों के बीच समानता और अंतर खोजने वाली मानवजाति विज्ञानी (Ethnologist) हैं.

अभावों में पली, संवेदनाओं से भरी

फ्रेंच लेखिका एनी अर्नाक्स का जन्म 1940 में गांव लिलेबोन नॉमैंडी (Normandy) में हुआ. कुछ साल बाद उनके माता-पिता यवेटोट (Yvetot) चले गए. यहां उन्होंने शहर के एक मजदूर तबके के जिले में एक कैफे और किराने की दुकान खोली. एक निजी कैथोलिक माध्यमिक स्कूल में पढ़ाई की.

इसी दौरान और अधिक मध्यम-वर्गीय पृष्ठभूमि की लड़कियों का सामना होने पर पहली बार अपने कामकाजी वर्ग के माता-पिता और परिवेश को लेकर उन्हें शर्म महसूस हुई. साल 1958 की गर्मियों में वह18 साल की उम्र में ग्रीष्मकालीन शिविर में बच्चों की देखभाल करने के लिएके लिए घर से निकल गईं थीं.

उनके पारिवारिक हालात खराब थे, लेकिन वो महत्वाकांक्षी थी. अपने माता-पिता के साथ उन्होंने एक श्रमिक वर्ग से लेकर पूंजीवादी जीवन तक का सफर तय किया. इस जीवन की यादें उन्हें कभी नहीं भूलीं. 

लेखन का लंबा और कठिन रास्ता

उम्र के 82 वें पड़ाव पार कर चुकी एनी अर्नाक्स ने 20 किताबें को लिखी हैं, लेकिन लेखक बनने का उनका रास्ता लंबा और कठिन था.अपने लेखन अर्नाक्स लगातार अलग-अलग नजरिए से लिंग, भाषा और वर्ग जैसी घनघोर असमानताओं से घिरे सामाजिक जीवन की पड़ताल करती रहींं. उन्होंने समाज की इन्हीं विसंगितयों को अपने लेखन में उतार डाला.

अर्नाक्स ने शुरुआती दौर में अपने लेखन का आधार अपनी ग्रामीण पृष्ठभूमि को बनाया. धीरे-धीरे उनका लेखन उपन्यास (Fiction) के काल्पनिक दायरे से निकल कर समाज में फैली वास्तविक असमानतों की तरफ बढ़ता गया. आत्मकथात्मक उपन्यास से उनके लेखन ने जीवन संस्मरणों की राह पकड़ ली. 

एनी की लिखी 20 से अधिक पुस्तकों में अधिकांश बहुत छोटी लिखी गई हैं. इनमें उनके जीवन की घटनाओं  सहित उनके आसपास के लोगों के जीवन की घटनाएं हैं. इनमें लेखिका अपने सेक्सुएल एंटकाउंटर से लेकर गर्भपात, बीमारी और अपने माता-पिता की मौत जैसी घटनाओं को बेबाकी से लिख डाला है.

पियरे- बॉर्डियू से प्रभावित

एनी अक्सर फ्रेंच उपन्यासकार मार्सेल प्रुस्त (Marcel Proust’s) से खुद को प्रभावित पाती है तो समान तौर पर वो फ्रांसीसी समाजशास्त्री और मानव विज्ञानी समाजशास्त्री पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) से गहराई से प्रभावित हुई है. एनी के कल्पना के परदे को चीरने की महत्वाकांक्षा ने उन्हें हमेशा अतीत के एक व्यवस्थित पुनर्निर्माण के लिए प्रेरित किया.

इसी लालसा में एनी ने डायरी के तौर आधा-अधूरा गद्य लिखने की कोशिश भी की है. इसमें उन्होंने विशुद्ध तौर पर बाहरी घटनाओं को दर्ज किया. हम उनके इस तरह के लेखन को साल 1933 की एक्सटीरियर्स (Exteriors) और साल थिंग्स सीन (Things Seen) जैसी किताबों में देख सकते हैं.

एनी की पहली किताब 1990 में आई क्लीन ऑउट थी और इस काम में उन्होंने अपनी नॉमैन (Norman) बैकग्राउंड की जांच शुरू कर दी थी, लेकिन यह उनकी चौथी किताब थी. 1992 में आई मैन्स प्लेस से उन्होंने साहित्यिक सफलता का स्वाद चखा.इस किताब में केवल 100 पन्नों में उसने अपने पिता और अपने पूरे सामाजिक परिवेश का उदासीन पक्षपात रहित खाका खींच डाला था. इसी परिवेश नें  मौलिक तौर पर उनकी शख्सियत को बनाने में योगदान दिया था.

"द इयर्स" रही मशहूर

एनी की सबसे मशहूर किताब 2008 में प्रकाशित "द इयर्स (The Years)" रही. अपनी पिछली किताबों के तुलना में "द इयर्स" में अर्नाक्स खुद तीसरे पर्सन में रखकर अपने बारे में लिखती हैं, वह किताब के चरित्र को "मैं" के बजाय "वह" लिखती हैं. इस किताब को कई पुरस्कार और सम्मान मिले चुके हैं.

किताब लेखिका के जन्म के वक्त 1940 से लेकर 2006 तक जीवन के सफर के बारे में बताती है. ये किताब लेखिका के कामकाजी पैरेंट्स के नॉमैंडी में उनके पालन-पोषण से लेकर उनके लीसी (Lycee) स्कूल में फ्रांसीसी साहित्य पढ़ाने, पेरिस के उपनगर सेर्गी में (Cergy) रहने, दो बेटों की परवरिश और आखिरकार तलाक लेने तक चलती है.

 साहित्य का नोबेल पाने वाली 17वीं औरत

साल 1901 से नोबेल पुरस्कार की शुरुआत की गई थी. साहित्य (Nobel Prize In Literature) का नोबेल अब तक 119 को मिल चुका है और एनी इस सम्मान को पाने वाली 17 वीं महिला है. इसके 119 साल के इतिहास में दो बार ऐसा हुआ जब साहित्य के क्षेत्र में दिया जाना वाला ये पुरस्कार किसी को नहीं दिया गया.

साल 1943 में इसे दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पहली बार ऐसा हुआ कि साहित्य के नोबेल से किसी शख्स को नहीं नवाजा गया. इसके बाद ऐसा मौका साल 2018 में आया था. तब ये स्वीडिश अकादमी की ज्यूरी सदस्य कटरीना के पति और फ्रेंच फोटोग्राफर जेन क्लोड अरनॉल्ट पर यौन शोषण के आरोप की वजह से नहीं दिया गया था. 

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