नई दिल्ली: उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग दुनिया के लिए सबसे बड़ा तानाशाह बना हुआ है. लेकिन अब वह थोड़ा नरम दिख रहा है. किम जोंग दो साल बाद पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया के साथ बात करने के लिए राजी हुआ है. अगले हफ्ते किम जोंग और दक्षिण कोरिया की सरकार में औपचारिक बातचीत हो सकती है.


दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच ये बातचीत इसलिए बहुत अहम है, क्योंकि किम जोंग का दक्षिण कोरिया के नाम से भी नफरत है. उसके देश में दक्षिण कोरिया के रेडियो तक सुने नहीं जा सकते हैं. हालांकि तानाशाह के इस प्रस्ताव को मानने के बाद दक्षिण कोरिया में विरोध शुरू हो गया है.

दक्षिण कोरिया के विपक्षी दलों के नेताओं का दावा है कि तानाशाह का मकसद बातचीत करना नहीं है. बल्कि वो अमेरिका और दक्षिण कोरिया की दोस्ती को तोड़ना चाहता है. दक्षिण कोरिया के बड़े अखबार कोरिया टाइम्स की एक हेडलाइन में बताया गया है कि कि तानाशाह के बातचीत के ऑफर पर देश में पक्ष और विपक्ष बंटा हुआ है.

दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी लिबर्टी कोरिया पार्टी के अध्यक्ष हांग जून प्यो के मुताबिक, दक्षिण कोरिया की सरकार, उत्तर कोरिया की चाल में आ गई है. उत्तर कोरिया के तानाशाह की नजर दक्षिण कोरिया में राजनीतिक पार्टियों के बीच मतभेद पर है. यही नहीं वो अमेरिका और दक्षिण  कोरिया के बीच भी दरार डालना चाहता है.

वहीं, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ऑफिस के प्रवक्ता पार्क सू ह्यून ने कहा है, ‘’उत्तर और दक्षिण बातचीत के रास्ते पर आगे बढ़कर उत्तर कोरिया के परमाणु मामले को शांति से निपटा सकते हैं. ऐसा होने पर कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव कम होगा.’’

दक्षिण कोरिया की सरकार पिछले एक साल से उत्तर कोरिया से बातचीत की कोशिश कर रही थी. लेकिन तानाशाह इस दौरान अपने मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम में व्यस्त रहा. यही वजह है कि दक्षिण कोरिया की विपक्षी पार्टियां तानाशाह को शक की निगाह से देख रही हैं.