North Korea-Russia Relations: नॉर्थ कोरिया और रूस के बीच हाल के कुछ महीनों में रिश्ते और भी मजबूत हुए हैं. इस बीच अमेरिका ने एक रिपोर्ट के हवाले से सोमवार (4 सितंबर) को जानकारी देते हुए कहा कि नॉर्थ कोरियाई नेता किम जोंग उन इस महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने वाले हैं. AFP की रिपोर्ट के मुताबिक वो दोनों यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों की डील करने के लिए रूस में मिलेंगे.


अमेरिका के तरफ से रूस और नॉर्थ कोरिया के संबंध में ये जानकारी पिछले हफ्ते चेतावनी दिए जाने के बाद आई है. अमेरिका पहले ही चेतावनी दे चुका है कि रूस युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों के लिए नॉर्थ कोरिया से सीक्रेट तरीके से बातचीत कर रहा है.


नॉर्थ कोरिया पहुंचा चुका है मदद
अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (NSC) की प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने कहा कि जैसा कि हमने सार्वजनिक रूप से चेतावनी दी है कि रूस और Democratic People's Republic of Korea (DPRK) के बीच हथियारों की बातचीत सक्रिय रूप से आगे बढ़ रही है. हमारे पास जानकारी है कि किम जोंग उन को उम्मीद है कि ये चर्चाएं जारी रहेंगी, जिसमें रूस में नेता स्तर की राजनयिक भागीदारी भी शामिल होगी.''


द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन जो शायद ही कभी अपने देश से बाहर यात्रा करते हैं. वो पुतिन से मिलने के लिए इस महीने के अंत में रूस के व्लादिवोस्तोक जा सकते हैं, जो उत्तर कोरिया से ज्यादा दूर नहीं है. हालांकि, जानकारी ये भी है कि किम जोंग उन मॉस्को भी जा सकते है, लेकिन ये अभी तक कंफर्म नहीं हैं.


रूसी अधिकारी कर चुके हैं दौरा
एड्रिएन वॉटसन ने कहा कि रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू ने पिछले महीने युद्ध के लिए अतिरिक्त हथियारों को हासिल करने के लिए नॉर्थ कोरिया की यात्रा की थी. वॉटसन ने कहा, "हम DPRK से आग्रह करते हैं कि वह रूस के साथ अपनी बातचीत बंद कर दे और प्योंगयांग (नॉर्थ कोरिया) को रूस को हथियार न देने या न बेचने की सार्वजनिक प्रतिबद्धताओं का पालन करे."


वहीं पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और जापान ने एक संयुक्त बयान में कहा कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने का कोई भी समझौता प्योंगयांग के साथ हथियारों के सौदे पर रोक लगाने वाले सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करेगा. हालांकि, ये प्रस्ताव खुद मास्को ने दिए थे और समर्थन किया था. कहा था कि शोइगु की प्योंगयांग यात्रा के बाद रूसी अधिकारियों के एक अन्य समूह ने हथियारों की खरीद पर बात करने के लिए नॉर्थ कोरिया की यात्रा की.


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