सोल: नॉर्थ कोरिया के किम जोंग उन शासन को एक नई चिंता सता रही है. उन्हें डर है कि युवाओं के हाथों में आए स्मार्टफोन से देश में एडल्ट फिल्म और के-पॉप (कोरियन पॉप) का ख़तरा बढ़ सकता है. जब से किम की मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हुई है तब से उनका देश बाहरी दुनिया से अपना संपर्क बढ़ा रहा है. इसमें इंटरनेट एक बड़ी भूमिका निभा रहा है और किम का डर इंटरनेट आधारित बाहरी दुनिया से संपर्क पर ही आधारित है.


साउथ कोरिया के एक अनुमान के मुताबिक लंबे समय से बाहर दुनिया से अपना संपर्क काट के रहने वाले नॉर्थ कोरिया में स्मार्टफोन की संख्या 2008 के बाद से छह मिलियन यानी 60 लाख़ हो गई है. यही वो साल था जब मिश्र की संचार कंपनी ओर्सकॉम और नॉर्थ कोरिया की सरकारी संपर्क कंपनी के आपसी सहयोगी से देश में फोन सेवा शुरू हुई थी. आपको बता दें कि नॉर्थ कोरिया की आबादी 25 मिलियन यानी ढाई करोड़ है.


मंगलवार को नॉर्थ कोरिया के सरकारी न्यूज़ पेपर रोडांग सिनमुन ने एक आर्टिकल छापा जिसमें स्मार्टफोन के आने से हुए "नकारात्मक प्रभाव" के बारे में बात की गई थी. इसमें सिर्फ देश की ही नहीं बल्कि दुनिया पर पड़े स्मार्टफोन के नकारात्मक प्रभाव की भी बात थी. आर्टिकल में पढ़ाई के दौरान स्मार्टफोन के इस्तेमाल, परीक्षा के दौरान चीटिंग और एडल्ट कंटेट शेयर करने के लिए हो रही इसके दुरुपयोग पर बात की गई थी.


हालांकि इसमें ये नहीं बताया गया था क्या किम इससे जुड़ा कोई निर्णय लेने वाले हैं. साउथ कोरिया के मुताबिक इस देश के लिए जानकारी के प्रवाह को रोकना पहले जैसा आसान नहीं रह गया. ये भी बताया गया है कि किम ने स्मार्टफोन के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया है. हालांकि, नॉर्थ कोरिया ने अभी तक अपने देश को दुनिया के इंटरनेट से अलग रखा है. देश की मीडिया तो पहले से ही बस वही चलाती है जो किम कहते हैं जिसकी वजह से लोगों में ज्ञान का भारी आभाव है.


किम के परिवार ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद से नॉर्थ कोरिया पर राज किया है और उनके देश में मीडिया और इंटरनेट के सेंसरशिप की बात तब से ही चली आ रही है. लेकिन मामला ये है कि चीन के बॉर्डर के पास इस्तेमाल करने पर नॉर्थ कोरियाई फोन पर चीनी इंटरनेट काम करता है. इसी के सहारे नॉर्थ कोरिया के लोग टेक्स्ट, वीडियो और तमाम तरह की फाइल भेजने से लेकर स्मगलिंग तक के लिए इस इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.


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